बिना लाइसेंस के चल रहे दर्जनों आरओ प्लांट

आरा : जार में बिक रहे आरओ-मिनरल वाटर के नाम पर लोगों से छलावा किया जा रहा है. गली-मुहल्लों में लगवाये गये प्लांटों से बाजारों में भेजा जा रहा पानी मानकों पर खरा नहीं है. गुणवत्ता में भी आरओ का पानी फिसड्डी है. जिले भर में दो दर्जन से अधिक प्लांट पानी बेचने का कारोबार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2018 6:14 AM

आरा : जार में बिक रहे आरओ-मिनरल वाटर के नाम पर लोगों से छलावा किया जा रहा है. गली-मुहल्लों में लगवाये गये प्लांटों से बाजारों में भेजा जा रहा पानी मानकों पर खरा नहीं है. गुणवत्ता में भी आरओ का पानी फिसड्डी है. जिले भर में दो दर्जन से अधिक प्लांट पानी बेचने का कारोबार अवैध तरीके से कर रहे हैं.

गुणवत्ता में है फिसड्डी, नहीं हो रही है जांच : आरओ के पानी का कारोबार हाल के कुछ वर्षों में बड़ी तेजी से बढ़ा है. लगभग हर सार्वजनिक स्थान पर इसने अपनी पकड़ बना ली है. सुविधा के लिए व स्वास्थ्य की दृष्टि से लोग आरओ का ठंडा पानी खरीद रहे हैं. मगर हकीकत यह है कि पानी तैयार करने में किसी तरह के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है. पैकेज्ड वाटर प्लांट संचालित करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने मानक तय किये हैं,
लेकिन जिले में नियम का पालन नहीं हो रहा है. चोरी-छुपे संचालित किये जा रहे प्लांटों में पानी की पैकिंग होते देखकर ही इसकी गुणवत्ता का आसानी से आकलन लगाया जा सकता है. न तो पानी की नियमित जांच करायी जाती है और न ही मशीन, उपकरण आदि की साफ-सफाई का ध्यान दिया जाता है. पूरे जिले में दो दर्जन से अधिक इस तरह के प्लांट संचालित हैं. इनमें से अधिसंख्य जिला मुख्यालय में ही चल रहे हैं.
ऐसे मिलता है प्रमाणपत्र
भारतीय मानक ब्यूरो से इसके लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता है. आवेदन देने के बाद ब्यूरो की टीम पूरे प्लांट को परखती है तथा पानी के नमूने लेकर जांच भी कराती है. सब कुछ सही पाये जाने के बाद ही प्रमाणपत्र जारी किया जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस तरह की जानकारी नहीं है. हमारे विभाग से कोई लाइसेंस जारी नहीं हुआ है. इसकी जांच की जायेगी तथा जो नियम होगा, उसके आलोक में कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
संजीव कुमार, जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी

Next Article

Exit mobile version