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अपनी कृतियों से अमर हैं गोस्वामी तुलसीदास : भारतभूषण

आरा : महाकवि एवं संतशिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जयंती के अवसर पर श्रीसनातनशक्ति पीठ संस्थानम में तुलसीदास जी की कृतियों एवं साहित्य का राष्ट्र-धर्म और संस्कृति को योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. अध्यक्षता आचार्य डॉ भारतभूषण पांडेय ने की. उद्घाटन करते हुए आचार्य डॉ श्रीनिवास तिवारी ‘मधुकर’ ने कहा कि […]

आरा : महाकवि एवं संतशिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जयंती के अवसर पर श्रीसनातनशक्ति पीठ संस्थानम में तुलसीदास जी की कृतियों एवं साहित्य का राष्ट्र-धर्म और संस्कृति को योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

अध्यक्षता आचार्य डॉ भारतभूषण पांडेय ने की. उद्घाटन करते हुए आचार्य डॉ श्रीनिवास तिवारी ‘मधुकर’ ने कहा कि राष्ट्रधर्म का शंखनाद करने और समाज को सन्मार्ग की दिशा देनेवाले संत व साहित्यकार थे गोस्वामी तुलसीदास जी. उन्होंने राम और हनुमान के चरित्र को प्रकाशित कर पूरे समाज को उच्च आदर्शों के अनुपालन के योग्य बनाने का अभियान चलाया.
विशिष्ट वक्ता अखिलेश्वर नाथ तिवारी ने समाज, धर्म और संस्कृति की समझ के लिए तुलसी साहित्य और तुलसीदास जी की साधुता से नयी पीढ़ी को परिचित कराने का आह्वान किया. रामनाथ ठाकुर ने कहा कि रामानंदाचार्य की परंपरा में तुलसीदास जी ने सगुण और कबीरदास जी ने निर्गुण धाराओं के द्वारा ब्रह्म की उपासना का प्रचार कर तत्कालीन समाज को संपूर्ण विकृतियों से मुक्त और चेतना संपन्न बनाया.
अध्यक्षीय भाषण में आचार्य डॉ भारत भूषण पांडेय ने तुलसी साहित्य को संपूर्ण ज्ञान-विज्ञान का प्रतिनिधि साहित्य, सार्वभौम व सार्वकालिक बताते हुए इसे राष्ट्र, धर्म और संस्कृति को प्राणवान करने वाला तथा विश्व मानवता के उन्नयन का अपरिहार्य माध्यम बताया.
कार्यक्रम का संचालन सत्येंद्र नारायण सिंह, स्वागत सरोज कुमार अकेला, धन्यवाद ज्ञापन ध्रुव कुमार सिंह और समापन भाषण शिवदास सिंह ने किया. वक्ताओं में मदनमोहन सिंह, डॉ गजेंद्र शंकर, अजय कुमार पाठक, विजय राय आदि प्रमुख थे.
वहीं रमना मैदान स्थित महावीर मंदिर में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती समारोह का आयोजन किया गया .अध्यक्षता सुमन बाबा ने की. इस अवसर पर यज्ञ नारायण तिवारी, संजय राय, शशिभूषण मिश्र, विश्वनाथ चौधरी, अनिल सिंह, बबलू सिंह, ठाकुर राज किशोर सिंह आदि उपस्थित थे.
वहीं जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा माध्यमिक शिक्षक संघ में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती समारोह का आयोजन किया गया. अध्यक्षता रामचंद्र निठूर ने की. उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि पाठ्यक्रमों से गोस्वामी तुलसीदास जी को हटाया जा रहा है.
जबकि समाज को संस्कारित व पौरुषवान बनाने के लिए गोस्वामी तुलसीदास जी के साहित्य का अध्ययन व अध्यापन का जरूरी है. डॉ बजंग प्रताप केसरी ने कहा कि तुलसी ने अपने रामचरित मानस में में ब्रह्म राम, विष्णु राम और मानव राम तीनो का एक साथ समन्वय किया है. यह उनकी अद्भुत कला का परिणाम है.
इस अवसर पर डॉ पारसनाथ सिंह, डॉ नथुनी पांडेय, डॉ कमलेश्वर, जगत नंदन सहाय, सोमेश्वर तिवारी, डॉ ममता मिश्र, डॉ किरण कुमारी, डॉ भानु प्रताप सिंह, डॉ महेंद्र राय, डॉ नंदजी दूबे, राजेंद्र पांडेय, विष्णु देव सिंह, लक्ष्मी नारायण राय, रामदेव उपाध्याय, जितेंद्र कुमार, लाल नारायण पांडेय आदि उपस्थित थे.

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