मरीज से मंगाया जाता है प्लास्टर ऑफ पेरिस पाउडर
आरा : सदर अस्पताल अपने कारनामों के कारण प्रतिदिन किसी ने किसी रूप में सुर्खियों में रह रहा है. सदर अस्पताल में कभी कुव्यवस्था का आलम तो कभी इलाज में लापरवाही में लेकर अक्सर बवाल हुआ करता है. इसमें अक्सर नुकसान मरीजों को होता रहा है़ मंगलवार को एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया. […]
आरा : सदर अस्पताल अपने कारनामों के कारण प्रतिदिन किसी ने किसी रूप में सुर्खियों में रह रहा है. सदर अस्पताल में कभी कुव्यवस्था का आलम तो कभी इलाज में लापरवाही में लेकर अक्सर बवाल हुआ करता है. इसमें अक्सर नुकसान मरीजों को होता रहा है़ मंगलवार को एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया. जहां एक वृद्ध महिला को प्लास्टर करने के लिए प्लास्टर पेरिस पाउडर मंगाने के लिए पैसे की मांग की.
बाद में महिला के पति द्वारा इसको लेकर अस्पताल प्रशासन से शिकायत की गयी. उसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा पूरे मामले को नजरअंदाज करते हुए उलझाने में जुट गयी. इस दौरान वहां पर भीड़ जुट गयी. हालांकि वृद्ध का कहना है कि सदर अस्पताल में कुव्यवस्था ही कुव्यवस्था भरी पड़ी है.
बता दें कि नवादा थाना क्षेत्र के रस्सी बगान निवासी नेमी शंकर प्रसाद की पत्नी चंद्रमोती देवी का पैर टूट गया है. वह अपने पत्नी को इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने एक्सरे कराने की सलाह दी.
एक्सरे में पैर फ्रैक्चर निकला. इसके बाद डॉक्टरों ने प्लास्टर कराने की सलाह दी. बहरहाल इस मामले की शिकायत वृद्ध नेमीशंकर प्रसाद द्वारा अस्पताल प्रबंधक से की गयी. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधक मनोज कुमार ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है.
अस्पताल प्रशासन ने आरोप को िकया खारिज
मंगलवार को जैसे ही प्लास्टर कराने के लिए वे पहुंचे तो वहां पर तैनात अस्पतालकर्मी प्लास्टर ऑफ पेरिस मंगाने के लिए पैसे मांगने लगे, जबकि वृद्ध का कहना था कि वहां पर प्लास्टर ऑफ पेरिस मौजूद था. उसके बावजूद भी ये लोग पैसे की मांग कर रहे थे. जब इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की गयी तो अस्पताल प्रशासन द्वारा यह कहते हुए बात को खारिज कर दिया गया कि पाउडर नहीं होगा. इस उद्देश्य से कर्मचारी द्वारा बाहर से पाउडर मंगाने के लिए पैसे की मांग की गयी.
हालांकि अस्पताल में पैसा लेना कानून जुर्म है. अस्पताल की कुव्यवस्था का आलम यह है कि ऐसे मरीज रोज आते हैं और रोज उन्हें अस्पताल में ठगी का शिकार होना पड़ता है. सरकार लाखों व करोड़ों रुपये खर्च कर मरीजों के हित में सारी व्यवस्थाएं कर रही है. उसके बावजूद अस्पताल कर्मियों द्वारा इस तरह से मरीजों को परेशान किया जाता है.