सीएए पर झूठ बोलकर देश को गुमराह कर रहे हैं मोदी-शाह”

आरा : इंसाफ मंच और भाकपा माले ने संयुक्त रूप से वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ संविधान बचाओ-देश बचाओ-नागरिकता बचाओ जन एकता सम्मेलन आयोजित किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंसाफ मंच के राष्ट्रीय संयोजक व भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य मो सलीम ने कहा कि भारत के संविधान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2020 6:20 AM

आरा : इंसाफ मंच और भाकपा माले ने संयुक्त रूप से वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ संविधान बचाओ-देश बचाओ-नागरिकता बचाओ जन एकता सम्मेलन आयोजित किया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंसाफ मंच के राष्ट्रीय संयोजक व भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य मो सलीम ने कहा कि भारत के संविधान को खत्म कर संघी हिटलरी शासन थोपना मोदी-अमित शाह का एजेंडा है.
इसके लिए वे मनमाफिक नागरिकता चुनने के लिए इन कानूनों को लेकर आयी है. हम सरकार को नागरिकता चुनने का अधिकार नहीं देंगे. संविधान को बदलने का अधिकार नहीं देंगे. इसके खिलाफ पूरे देश में छात्र-नौजवानों, महिलाओं और अक्लियतों के संघर्ष को सलाम करते हुए उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रीय जागरण का दौर आया है. दिल्ली का शाहीनबाग पूरे देश में फैल गया है.
सरकार दमन के जरिये आपातकालीन कानूनों के प्रावधानों के आधार पर आंदोलन को दबाना चाहती है. जनता नहीं डर रही है, बल्कि मोदी-अमित शाह को असम, बंगाल सहित दूसरे हिस्से में जाने से डर लगने लगा है.
एनआरसी के खेल को देश की जनता समझ गयी है. जबकि सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर मोदी-शाह झूट बोलकर देश को गुमराह कर रहे हैं. असम में एनआरसी इसका उदाहरण है. इसलिये एनआरसी, एनपीआर और सीएए के खिलाफ में हर गरीबों की हिस्सेदारी है.
इस भागीदारी को इंसाफ मंच और भाकपा माले मलबूत बनायेगी. सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य राजू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार एक समय कहा करते थे मिट्टी में मिल जायेंगे, लेकिन वे आरएसएस और भाजपा से हाथ नहीं मिलायेंगे, लेकिन आज वे कहां खड़े हैं.
सम्मेलन की अध्यक्षता व संचालन क्यामुद्दीन अंसारी ने किया. वहीं, सभा को एम बुखारी, मौलाना शम्शुल हक, मौलाना इमरान, इनौस राज्य सचिव अजीत कुशवाहा, मौलाना मुस्तफिजुर, शोभा मंडल, सलमा बेगम, माबिया अख्तर, जोया अख्तर, मो फैज उर्फ राजन, शहाबुद्दीन कुरैशी, अजय राम उर्फ गांधी, मजहर हुसैन ने संबोधित किया.

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