आरा : जिले के दो थाने नगर व नवादा को छोड़ कर सभी थानों के बेसिक फोन खराब है. कई थानों में तो सरकारी मोबाइल नंबर भी नहीं है. वहीं ओपी की बात करें, तो न बेसिक फोन है और न ही सरकारी मोबाइल ही है. ऐसे में थानाध्यक्षों के निजी मोबाइल से ही सूचना आदान-प्रदान होती है. जिले में 29 थाना तथा सात ओपी है, जबकि पवना, आयर, धनगाई थाना में सरकारी नंबर नहीं है.
वहीं सिन्हा, कारनामेपुर, ख्वासपुर , बहोरनपुर, धोबहां, हसनबाजार तथा गजराजगंज ओपी में न बेसिक फोन है, न सरकारी मोबाइल. थानाध्यक्ष के प्राइवेट नंबरों से ही बात होती है.
सूचना मिलते ही कभी-कभी पकड़े जाते है अपराधी : कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपराधिक घटना घटित हो रही हो और किसी व्यक्ति द्वारा इसकी सूचना पुलिस को मिल जाती है, तो पुलिस घेराबंदी कर अपराधियों को गिरफ्तार कर लेती है. ये कभी -कभी ही होता है. मौके वारदात पर अपराधी पकड़े जाते है, लेकिन हर बार आपराधिक घटना घटित होने के बाद ही इसकी सूचना पुलिस को मिलती है.
सरकारी नंबर न होने से होती है परेशानी : कारनामेपुर, सिन्हा, ख्वासपुर, गजराजगंज, धोबहां, बहोरनपुर, हसन बाजार, ओपी में सरकारी नंबर नहीं होने से ओपी में पद स्थापित थानाध्यक्षों द्वारा अपना निजी नंबर ही लोगों को दिया जाता है.
नाम न छापने के शर्त पर एक थानाध्यक्ष ने बताया कि सरकारी नंबर नहीं होने से हमलोग घर के लोगों से भी सही ढंग से बात नहीं कर पाते हैं. अगर घर के लोगों का फोन आता है, तो बात होती ही रहती है कि कॉल वेटिंग में किसी और का बताने लगता है, जिससे तुरंत फोन काट कर उस व्यक्ति को फोन करना पड़ता है, ताकि कोई घटना तो थाना क्षेत्र में नहीं घटित हुई है.
दो थानों के बेसिक
फोन है ठीक : जिले के नगर और नवादा थाना के बेसिक फोन सुचारु रूप से कार्य कर रहे है. ऐसे में थानाध्यक्ष का नंबर नहीं लगने पर भी बेसिक फोन पर फोन कर लोग अपनी समस्या को बता देते हैं, जिसका ओटी प्रभारी द्वारा तुरंत निदान भी कर दिया जाता है. इससे थानाध्यक्ष पर भी कार्य का बोझ कम हो जाता है.