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22 साल पांच सौ रुपये घूस लेने का आरोप ङोलते रहे चिकित्सक
कोईलवर/चांदी़ : 22 वर्ष पूर्व चांदी थाना क्षेत्र के भदवर के एक व्यक्ति द्वारा पांच सौ रुपये लेकर इंज्यूरी बनाने के लगाये गये झूठे आरोप व उस पर विजिलेंस द्वारा कार्रवाई और बरखास्तगी का दंश ङोल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोईलवर के तत्कालीन चिकित्सका पदाधिकारी डॉ राम कुमार हिमांशु को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर […]
कोईलवर/चांदी़ : 22 वर्ष पूर्व चांदी थाना क्षेत्र के भदवर के एक व्यक्ति द्वारा पांच सौ रुपये लेकर इंज्यूरी बनाने के लगाये गये झूठे आरोप व उस पर विजिलेंस द्वारा कार्रवाई और बरखास्तगी का दंश ङोल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोईलवर के तत्कालीन चिकित्सका पदाधिकारी डॉ राम कुमार हिमांशु को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पटना उच्च न्यायालय ने स्पीडी ट्रायल चला कर सभी आरोपों से दोषमुक्त करार दिया़.
1992 में विजिलेंस में दर्ज कांड के आधार विजिलेंस कार्ट ने 26 मार्च 2011 में दोषी करार दिया था. दो हजार रुपये जुर्माना व दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद विभागीय कार्रवाई करते हुए 14 मार्च, 2014 को उन्हें निलंबित कर दिया गया. ़निलंबन अवधि में उन्हें दरभंगा में योगदान करने को कहा गया था.
इसी दौरान 12 सितंबर, 2014 को उन्हें बरखास्त कर दिया गया़ निलंबन के समय डॉ हिमाशु पीएमसीएच में शिशु रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत थ़े
क्या था मामला : वर्ष 1992 में डॉ राम कुमार हिमांशु कोईलवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर तैनात थ़े इस दौरान प्रखंड के चांदी थाना क्षेत्र के भदवर निवासी कृष्णदेव तिवारी उर्फ किशुनदेव तिवारी ने अपने चचेरे भाई बलिराम तिवारी की इंज्यूरी रिपोर्ट निर्गत करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद, कोईलवर के चिकित्सक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारी ड्रेसर बिल्टू सिंह द्वारा रिश्वत की मांग करने की शिकायत विजिलेंस से की.
निगरानी धावा दल ने 11 जून,1992 को रिश्वत की राशि पांच सौ रुपये के साथ ड्रेसर बिल्टू सिंह को गिरफ्तार किया. निगरानी थाना में कांड संख्या 26/92 धारा 7़8़13 भनि अधि 1988 के अंतर्गत डॉ हिमांशु, बिल्टु सिंह व कंपाउडर रघुनाथ सिंह को आरोपित बनाया गया था़.
जिसके बाद डॉ हिमांशु सहित तीन आरोपितों को दोषी करार देते हुए 26 मार्च,2011 को विशेष न्यायालय निगरानी, पटना द्वारा प्रत्येक आरोपितों को दो -दो वर्ष एवं एक को एक वर्ष का सश्रम कारावस तथा दो-दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी गयी़
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