कभी सीबीआइ, तो कभी विजिलेंस बन लोगों को लगाते थे चूना

आरा : सीबीआइ और विजिलेंस के अधिकारी बन कर भ्रष्टाचारियों पर भले नकेल न कस पाये लेकिन फर्जी सीबीआइ और विजिलेंस बन कर कई लोगों को चुना लगा चुके हैं. पहली बार फर्जी विजिलेंस गिरोह का तब परदाफाश हुआ जब मसौढ़ी थाने में पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस गिरोह के तार बिहार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2015 7:47 AM
आरा : सीबीआइ और विजिलेंस के अधिकारी बन कर भ्रष्टाचारियों पर भले नकेल न कस पाये लेकिन फर्जी सीबीआइ और विजिलेंस बन कर कई लोगों को चुना लगा चुके हैं.
पहली बार फर्जी विजिलेंस गिरोह का तब परदाफाश हुआ जब मसौढ़ी थाने में पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस गिरोह के तार बिहार के कई जिलों से जुड़े हुए है. पकड़े जाने पर भी इस ढंग से बात करते है जैसे सही में विजिलेंस के अधिकारी हो. देख कर आप भी धोखा खा सकते हैं.
पीरो एसडीपीओ कृष्ण कुमार ने बताया कि घटना को अंजाम देने के पहले व्यक्ति और वहां के सारी स्थितियों से वाकिफ हो जाते हैं, जिसके बाद चार पहिया वाहन लेकर शिकार के पास पहुंच घटना को अंजाम देकर निकल जाते हैं.
अपने को बताते हैं एंटी करप्शन के सदस्य
पुलिस ने बताया कि पकड़े जाने के बाद जब पूछताछ की गयी, तो सभी अपने को एंटी करप्शन का सदस्य बताया. पुनपुन में विजिलेंस कमेटी एवं वाचर आर्ट पब्लिक काजेज के नाम से एनजीओ चलाते हैं, जिसकी जांच पुलिस द्वारा की जा रही है.
पुलिस ने बताया कि गिरोह के तार भोजपुर ही नहीं पटना, बिहार शरीफ सहित कई जिलों में फैला हुआ है. हर जगह इसी तरह की घटनाओं का अंजाम अलग – अलग गिरोह के सदस्यों द्वारा दी जाती है.
लग्जरी वाहन से करते हैं सफर
शान ऐसी की कोई भी देख कर चक्कर खा जाये. लग्जरी वाहन से घटनास्थल तक पहुंचते हैं, जिसके बाद किसी भी दुकानदार के पास पहुंच कर अपने को विजिलेंस का अधिकारी बता सकते में डाल देते हैं, जिसके बाद उनको लगता है की शिकारी पूरी तरह जाल में फंस चुका है, तो तोल-मोल की बातें शुरू करते हैं. दुकान देख स्थिति का भी पता लगा लेते हैं, जितना मिला उसी को लेकर फिर किसी नये शिकार की तलाश में निकल जाते हैं.

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