जहरीला हुआ पानी, लोगों में आक्रोश
परेशानी : कोईलवर के गीधा इंडस्ट्रियल की एक पेपर फैक्टरी के समीप है तालाब कोईलवर : जिले के कोईलवर प्रखंड के गीधा इंडस्ट्रियल क्षेत्र में जहरीला तालाब से स्थानीय लोगों में भय व्याप्त हो गया है, जो क्षेत्र के लोगों के जीवन पर बुरा असर डाल रहा है़ तालाब के आसपास बदबू ने लोगों जीना […]
परेशानी : कोईलवर के गीधा इंडस्ट्रियल की एक पेपर फैक्टरी के समीप है तालाब
कोईलवर : जिले के कोईलवर प्रखंड के गीधा इंडस्ट्रियल क्षेत्र में जहरीला तालाब से स्थानीय लोगों में भय व्याप्त हो गया है, जो क्षेत्र के लोगों के जीवन पर बुरा असर डाल रहा है़ तालाब के आसपास बदबू ने लोगों जीना मुश्किल कर दिया है़
मनुष्य, तो मनुष्य पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े क्षेत्र छोड़ अपने नये आशियाने के तलाश में वहां से दूर हो गये हैं, जिस पर पर्यावरण विद् काफी चिंतित है़.
वहीं जिला प्रशासन मौन है और उनके ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है़ जी हां ये वाक्या कोईलवर के गीधा इंडस्ट्रियल के एक पेपर फैक्टरी के समीप स्थित तालाब की है, जिसमें से निकला गंदा पानी तालाब का रूप ले लिया है और आम लोगों के सेहत पर बुरा असर डाल रहा है़ स्थानीय लोगों की मानें, तो फैक्टरी से निकले कचरे व गंदा पानी जमा हो जहरीला तालाब का रूप ले लिया है़.
इनसान की बात छोड़ दें, इसका पानी पीनेवाले या इसमें गिरनेवाले जानवर मौत की मौत हो जाती है. ऐसी दर्जनों घटनाएं घट चुकी है़ वहीं तालाब के आसपास के खेत में लगी फसलें भी सूखने लगे हैं.
किसान मो छोटे बताते हैं कि उनके खेत में लगे कई कट्ठा चना सूख गया है़ वहीं पेपर मील से निकला काला धूल लोगों के सेहत पर बुरा असर डाल रहा है, जिससे क्षेत्र में रहनेवाले लोग श्वास की बीमारी के चपेट में आ रहे हैं.
लोगों के सेहत पर बुरा असर
जहरीले तालाब के आसपास क्षेत्र के लोगों की मानें, तो जहरीले तालाब के कारण उनके चापाकल में भी दरुगध युक्त पानी आ रहा है़ वहीं फैक्टरी से निकला काला धूल व कचरा से भारी परेशानी हो रही है़ इस रास्ते से गुजरनेवाले लोग को सांस की बीमारी, आंखों का लाल होना जारी है, जिसमें क्षेत्र के जलपुरा, गोवर्धनचक, कायमनगर, गीधा के कलावती देवी, विक्की पासवान, गुड्डू मंडल, मंजीत लालबाबु साह,भगवान पासवान समेत दर्जनों लोग बीमार पड़ गये, जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा है.
जहरीला तालाब के पास इतना दरुगध है कि क्षेत्र से गुजरनेवाले लोग नाक पर रूमाल, गमछा लपेट ही जाने में भलाई समझते है़ महीनों दिन पूर्व स्थानीय लोगों द्वारा जब इसका विरोध कर जाम किया था, तो जिले के आलाधिकारी पहुंच ग्रामीणों के हित के लिए प्रबंधन से बात की थी, लेकिन महीनों दिन बीतने के बाद भी प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है़