आखिर मृत महिला थी कौन !

कोर्ट में विस्फोट : अधिवक्ताओं ने घटना को लेकर प्रशासन के खिलाफ की नारेबाजी दो दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस कर रही पूछताछ आरा : आखिर वह महिला कौन थी यह पुलिस के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ है. कोर्ट परिसर में उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि महिला बार-बार यही पूछ रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2015 12:04 PM
कोर्ट में विस्फोट : अधिवक्ताओं ने घटना को लेकर प्रशासन के खिलाफ की नारेबाजी
दो दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस कर रही पूछताछ
आरा : आखिर वह महिला कौन थी यह पुलिस के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ है. कोर्ट परिसर में उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि महिला बार-बार यही पूछ रही थी कि कब आइ बंदी लोग के गाड़ी. आखिर महिला द्वारा इस बात का पूछे जाने का क्या कारण था.
आखिर महिला बार-बार क्यों बंदी के वाहन के आने की बात पूछ रही थी. क्या लंबू शर्मा को भगाने का ही उद्देश्य था या कुछ और इसकी भी जांच पुलिस कर रही है. लोगों की मानें, तो महिला बंदी के आने के पहले ही यहां पहुंच गयी थी. जैसे ही बंदी की गाड़ी कोर्ट परिसर स्थित हाजत के समीप पहुंची. बंदियों को गाड़ी से उतारा जा रहा था तभी कोर्ट परिसर में बम बलास्ट हो गया.
दिन के 11:25 बज रहे थे. कोर्ट परिसर पूरी तरह से वकील व लोगों से खचाखच भरा हुआ था. लोग अपने-अपने कार्यो में जुटे थे. मंडल कारा से कैदी वाहन में बंदियों को कोर्ट हाजत में लाया गया, जहां सुरक्षा घेरे में बंदियों को हाजत में भेजा जा रहा था. इसी दौरान कोर्ट हाजत से महज छह मीटर की दूरी पर खड़ी संदिग्ध महिला के शरीर में बंधे बम से जोर के धमाके के साथ महिला का क्षत-विक्षत शव बिखड़ गया. देखते ही देखते कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया.
बम बलास्ट का फायदा उठाते हुए पेशी के लिए लाये गये बंदियों में से दो बंदी लंबु शर्मा और अखिलेश उपाध्याय सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए भागने में सफल रहा. बम बलास्ट में ड्यूटी पर तैनात आरक्षी अमित कुमार सहित 18 लोग जख्मी हो गये, जिसके बाद कोर्ट परिसर का मंजर ही बदल गया. चारों तरफ धुएं और चीख पुकार मच गयी. घायल जवान व लोगों को कोर्ट परिसर से सदर अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान जवान की मौत हो गयी.
कोर्ट परिसर में उपस्थित वकील और लोगों द्वारा घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है. देखते-ही-देखते पूरा अस्पताल परिसर घायलों से भर गया. वहीं घटना की सूचना मिलते ही मोबाइल की घंटियां घनघनाने लगी. लोग घटना के संबंध में जानने को उत्सुक थे. जैसे-जैसे समय बितता गया, लोग घटना व घायलों के हालचाल जानने के लिए कोर्ट परिसर से अस्पताल तक का चक्कर लगाते रहे. सूचना मिलते ही मौके पर डीएम, एसपी अपने दल बल के साथ पहुंचे, जिसके बाद इसकी सूचना मुख्यालय के वरीय अधिकारियों को दी. सूचना मिलते ही जोनल आइजी एके आंबेडकर, डीआइजी उमा शंकर सुधांशु पहुंचे.
अधिकारियों के पहुंचते ही कुछ ही घंटों के बाद पटना से एफएसएल व बम स्क्वायड का दस्ता भी कोर्ट परिसर पहुंचा, जिसके बाद एटीएस की टीम भी घटना की जांच को लेकर कोर्ट परिसर पहुंची. इधर घटना के बाद कोर्ट में नो वर्क हो गया. अधिवक्ताओं में इस घटना को लेकर रोष व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की. कोर्ट परिसर को पूरी तरह सिल कर दिया गया, जिसके बाद गहन जांच तलाशी के बाद एक-एक कर लोगों को बाहर निकला गया. इस दौरान जांच के क्रम में दो दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ किया जा रहा है. घटना स्थल पर एटीएस व एफएसएल की टीम पहुंच कर अनुसंधान में जुट गयी.
एफएसएल की टीम घटना स्थल की घेराबंदी कर कोर्ट हाजत से मृतक महिला के शव तक की दूरी को मापा तथा घटना स्थल से खून के धब्बे, कपड़े, जूता, चप्पल, एयर फोन, विस्फोटक सामग्री को कब्जे में लेकर जांच के लिए अपने साथ ले गयी. महिला के पास से मिले मोबाइल को भी जब्त कर लिया गया.
जब्त मोबाइल के डंप डाटा को भी पुलिस खंगाल रही है. मोबाइल फोन बुक एवं कॉल डिटेल्स को भी खंगाल रही है. जवान को जैसे ही चिकित्सकों ने मृत घोषित किया सदर अस्पताल परिसर का माहौल गमगीन हो गया. घायलों की हाल-चाल जानने के लिए लोगों का हुजूम जमा होने लगा.
शक्तिशाली होता बम तो खतरा और होता
प्रथम दृष्टया जांच के क्रम में पता चला कि कम तीव्रतावाले देशी बम से विस्फोट हुआ है. अगर बम शक्तिशाली होता, तो नजारा कुछ और ही होता. न जाने कितनी जाने जाती और न जाने कितने लोग इस घटना में घायल होते.
37 बंदी आये थे कोर्ट में पेशी के लिए : मंडल कारा से आरा व्यवहार न्यायालय में हाजिरी लगाने के लिए 37 बंदी कोर्ट परिसर में आये हुए थे. बम बलास्ट की घटना के बाद दो बंदी लंबु शर्मा और अखिलेश उपाध्याय भागने में कामयाब रहे.

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