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लापरवाही से तबाह होते हैं सैकड़ों गांव

शाहपुर : लगभग तीन दशक पूर्व से शुरू हुए बक्सर– कोइलवर तटबंध का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है. गंगा नदी में आनेवाली बाढ़ से 70 हजार लोग पीड़ित होते रहते हैं. बाढ़ नियंत्रण विभाग के छोटी सी लापरवाही बहुत बड़ी तबाही मचाने को काफी है. प्रखंड क्षेत्र की लगभग आधी से अधिक आबादी इसकी […]

शाहपुर : लगभग तीन दशक पूर्व से शुरू हुए बक्सरकोइलवर तटबंध का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है. गंगा नदी में आनेवाली बाढ़ से 70 हजार लोग पीड़ित होते रहते हैं. बाढ़ नियंत्रण विभाग के छोटी सी लापरवाही बहुत बड़ी तबाही मचाने को काफी है.

प्रखंड क्षेत्र की लगभग आधी से अधिक आबादी इसकी परेशानी ङोलने को हर वर्ष विवश होते हैं. बाढ़ के तांडव से बचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर भले ही बांध वर्षो पूर्व बनाया गया है पर ’’विपत्ति दरवाजा’’ में एक स्लुइस गेट नहीं लगने से गंगा के जल स्तर में थोड़ी सी वृद्धि भी गांवों में भारी तबाही ला देती है.

शाहपुर प्रखंड की लालूडेरा पंचायत में मरचईया डेरा गांव के पास करीब एक किलोमीटर तक अधूरा तटबंध बक्सर कोइलवर गंगा का सुरक्षा तटबंध चेन संख्या 1600 से 2167 के बीच पड़ता है, जो सरकारी फाइलों के अनुसार स्लुइस गेट लगाने के नाम पर छोड़ा गया है, परंतु आज तक इसके रखरखाव के लिए पर्याप्त संसाधन की व्यवस्था नहीं की गयी.

* स्लुइस गेट के अलावे प्रखंड क्षेत्र में पड़नेवाले तटबंध में दर्जनों छोटे एवं बड़े गैप है, जिससे गंगा का जल स्तर ज्यादा बढ़ने पर उसके सटे गांवों एवं खेतों को तबाह करने के लिए पर्याप्त है.

* अधूरे तटबंध से परेशानी

तटबंध अधूरा रहने के कारण तटबंध के भीतर गंगा की तलहट्टी में बसे दामोदरपुर एवं लालूडेरा के साथसाथ दर्जन भर दियारा क्षेत्र के गांव इससे ग्रस्त है. बरसात का मौसम आते ही इन क्षेत्रों के लोग बाढ़ के खतरों से दहशत में रहते हैं. बाढ़ से सबसे अधिक परेशानी किसानों एवं मजदूरों के समक्ष होती है.

* ये गांव हैं पीड़ित

प्रखंड के लक्षुटोला सांरगपुर, सुरेमनपुर, दामोदरपुर, जवइनिया, नंद लाल के डेरा, भुसहुला, गंगापुर, टिकापुर, चक्की नौरंगा, रामदयाल ठाकुर का डेरा, पचकौड़ी डेरा, करीमनठाकुर के डेरा, बुझाराय के डेरा, राजपुर, चारघाट, चनउर, लक्ष्मणपु, गोबिंदपुर, बरिसवन, सेमरिया, पांडेयपुर, रतनपुरा, लालूडेरा, सुहिया, पीपरा, होरिल छपरा, देवमलपुर, रामकरही, सइया, मरचईया, माधोपुर, काशीडेरा आदि गांवों में होती है परेशानी . जल स्तर में जब वृद्धि होती है तो बाढ़ का दबाव बढ़ जाता है. हजारों एकड़ में लगी फसल डूब कर नष्ट हो जाती है.

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