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गांव में शिक्षा का अलख जगा रही है प्रभावती

आरा : प्रभावती ग्रामीण क्षेत्रों में बतौर शिक्षक के रूप में अपनी दायित्वों का निर्वहन बखूबी निभा रही है. उदवंतनगर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षिका के पद पर पदस्थापित प्रभावती का रास्ता इतना आसान नहीं था, लेकिन कहते हैं कि मनुष्य जब दृढ़ संकल्प कर ले, तो हर मंजिल को पा सकता है. महिला […]

आरा : प्रभावती ग्रामीण क्षेत्रों में बतौर शिक्षक के रूप में अपनी दायित्वों का निर्वहन बखूबी निभा रही है. उदवंतनगर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षिका के पद पर पदस्थापित प्रभावती का रास्ता इतना आसान नहीं था, लेकिन कहते हैं कि मनुष्य जब दृढ़ संकल्प कर ले, तो हर मंजिल को पा सकता है.
महिला होने के नाते जब उदवंतनगर गांव में बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया, तो एक अलग ही पहचान बन गयी. 2003 में बतौर शिक्षामित्र के रूप में गांव के ही स्कूल में शिक्षिका के पद पर पदस्थापित थी. उन्होंने बताया कि यह दिन हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण था, जिसके बाद इनकी पहचान राज्य स्तर पर बनी और वो पहली महिला बनी जिन्हें राजकीय शिक्षा पुरस्कार से तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हाथों सम्मानित किया गया. प्रभावती ने बताया कि समाज को अगर बदलना है, तो शिक्षा बहुत ही जरूरी है. इससे जो भी लोग शिक्षित है उन्हें समय निकाल कर आस पास के निरक्षर बच्चों को साक्षर बनाने की पहल करनी चाहिए. आज प्रभावती की एक अलग पहचान बन गयी है. स्कूल से जाने के बाद भी छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा देती है.
शिक्षा की ज्योति जलाने का संकल्प ठाने जब प्रभावती ने निरक्षर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, तो उन्हें भी पता नहीं था कि एक दिन वो शिक्षिका बन जायेगी और उन्हें वह सम्मान मिलेगा, जिसे हासिल करने में लोगों को वर्षो लग जाते हैं. नि:स्वार्थ भाव से बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने को लेकर दिन रात प्रभावती मेहनत करती रहती है. स्कूल से जाने के बाद भी बच्चों के बीच बैठ कर शिक्षाप्रद बातें करती है. अब वो ग्रामीण महिलाओं के लिए आइकॉन बन गयी है.

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