नीलम की अंत्येष्टि राख गंगा में प्रवाहित, मुंबई से अपने गांव जोकहरी पहुंचे भोजपुरी गायक पवन सिंह

मुंबई के बारसोवा श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हुई नीलम के अंत्येष्टि का राख उनके ससुराल जोकहरी लाया गया, जहां नीलम के पति पवन सिंह ने गंगा के तट पर जाकर नम आंखों से राख को गंगा में प्रवाहित किया, जिसके बाद परिजनों ने क्रिया की तैयारी शुरू कर दी. पिंड दान के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2015 6:11 AM
मुंबई के बारसोवा श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हुई नीलम के अंत्येष्टि का राख उनके ससुराल जोकहरी लाया गया, जहां नीलम के पति पवन सिंह ने गंगा के तट पर जाकर नम आंखों से राख को गंगा में प्रवाहित किया, जिसके बाद परिजनों ने क्रिया की तैयारी शुरू कर दी. पिंड दान के साथ पीपल के पेड़ में टंट घंट टांग कर उसमें जल दिया गया. वहीं पवन सिंह के चाहनेवाले प्रशंसकों के कुशल क्षेम पूछनेवाले लोगों की भीड़ लगी रही.
आरा: जैसे ही मुंबई से नीलम की अंत्येष्टि की राख लेकर पवन सिंह और उसके परिजन जोकहरी पहुंचे ग्रामीणों की आंखें नम हो गयी. कुशल क्षेम पूछनेवालों की पूरे दिन पवन सिंह के गांव से लेकर उनके ससुराल कसाप तक लगी रही. इस बीच क्रिया के साथ ही होनेवाले श्रद्धकर्म की तैयारी में परिवार के लोग जुट गये हैं. क्रिया के पहले दिन पिंड दान करने के बाद पीपल के पेड़ में टंगे घंट में पानी डाला गया. इसके बाद लगी लेने की प्रक्रिया शुरू हो गयी.
कुशल क्षेम पूछनेवालों की लगी रही भीड़ : इस घटना के बाद जैसे ही पवन के चाहनेवाले तथा उनके रिश्तेदारोंे को घर पहुंचने की सूचना मिली. पकड़ी स्थित आवास से लेकर जोकहरी गांव तक पहुंचने का लोगों का तांता लगा रहा. वहीं कई लोगों ने इस दुख की घड़ी में पवन सिंह सहित पूरे परिवार के लोगों को ढाढ़स बढ़ाया. साथ ही इस घटना पर दुख प्रकट भी की.
नीलम के मायका में भी पसरा मातमी सन्नाटा : नीलम के मायका कसाप में भी इस घटना के बाद मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. मायके के लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि तीन माह पहले जिस नीलम के हाथों में मेंहदी रचा डोली में बैठा कर विदा किया गया था. उसकी मौत की खबर महज तीन माह के बाद ही मुंबई से पहुंचेगी. नीलम के माता तथा पिता सुनील सिंह जैसे ही मुंबई से अपने गांव पहुंचे कुशल क्षेम पूछनेवाले लोगों की भीड़ लग गयी. दुख की घड़ी में परिवार के लोगों को ढाढ़स बढ़ाया.
तीन माह पहले मांगलिक गीत, आज वीरान
जहां तीन माह पहले जोकहरी गांव मांगलिक गीतों से गूंज रहा था. आज वह गलियां दर्द की दास्तां को बयां कर रही थी. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि महज तीन माह के बाद ही इस तरह का संदेश माया नगरी से जोकहरी गांव पहुंचेगा. एक दिसंबर को जोकहरी से बरात कसाप गांव गयी थी, जिसमें सिने जगत के कई हस्ती व कई शादी समारोह में शिरकत किये थे.

Next Article

Exit mobile version