एनएसयूआइ ने किया धरना-प्रदर्शन

आरा : एनएसयूआइ से जुड़े छात्रों व नेताओं ने वीर कुंवर सिंह विवि प्रशासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए विवि परिसर में एक दिवसीय धरना–प्रदर्शन किया. धरना–प्रदर्शन के बाद कुलपति का पुतला दहन भी किया गया. कार्यक्रम का नेतृत्व जिलाध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी, मंच संचालन नवीन शंकर पाठक व धन्यवाद ज्ञापन मो शारीक ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2013 1:22 AM

आरा : एनएसयूआइ से जुड़े छात्रों नेताओं ने वीर कुंवर सिंह विवि प्रशासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए विवि परिसर में एक दिवसीय धरनाप्रदर्शन किया. धरनाप्रदर्शन के बाद कुलपति का पुतला दहन भी किया गया.

कार्यक्रम का नेतृत्व जिलाध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी, मंच संचालन नवीन शंकर पाठक धन्यवाद ज्ञापन मो शारीक ने किया. दस सूत्री मांगों को लेकर एनएसयूआइ से जुड़े नेताओं ने विवि के मुख्य द्वार पर बैठ कर धरना दिया. इस दौरान विवि प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.

धरना को संबोधित करते हुए पूर्व विवि अध्यक्ष अमित कुमार द्विवेदी ने विवि के तानाशाही मनमानी की भर्त्सना की. उन्होंने कहा कि विवि भ्रष्टाचार के आकंठ में पुरी तरह डूब चुका है. छात्र हित के मुद्दों पर विवि प्रशासन पुरी तरह संवेदनहीन हो चुका है. जिलाध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ने कहा कि विवि प्रशासन संगठन द्वारा छात्र हित में किये जा रहे आंदोलन को बारबार नजरअंदाज कर रही है.

मांगों को लेकर पूर्व में दिये गये धरना के बाद आश्वासन दिया गया, लेकिन अब तक मांगों की पूर्ति नहीं हुई. धरना पर बैठे नेताओं से परीक्षा नियंत्रक डॉ जयनारायण सिंह ने वार्ता की. नेताओं ने कहा कि मांगे पुरी नहीं होने पर 26 अगस्त से विवि के सभी तरह के कार्यो को अनिश्चितकाल के लिए ठप कर दिया जायेगा. मौके पर कामेश्वर कुमार, मुकुल सिंह, प्रशांत नारायण, जहांगीर, ओम प्रकाश सिंह, आकाश कुमार, हसीम अख्तर, मो आजाद, शिवम कुमार थे.

* कुलाधिपति को पत्र भेज जांच की मांग

आरा : श्री त्रिदंडी स्वामी मानस कॉलेज पनवारी के प्राकृत विभाग के व्याख्याता अनिल कुमार सिंह ने कुलाधिपति को एक पत्र भेज कर कॉलेज के प्राचार्य अजय कुमार सिंह की नियुक्त पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने इसको लेकर विवि के कुलपति कॉलेज निरीक्षक को भी ज्ञापन सौंपा है.

उन्होंने कहा है कि प्राचार्य के पद पर जब से श्री सिंह ने कुरसी संभाली है, तब से कॉलेज में वित्तीय अनियमितता शैक्षणिक अराजकता चरम है, जो एक जांच का विषय बन चुका है. उन्होंने कहा है कि महाविद्यालय को सरकार से प्राप्त अनुदान की राशि लगभग एक वर्ष आठ माह बीत गये, लेकिन शिक्षकों कर्मियों के बीच राशि का वितरण नहीं हो पाया है.

यहीं नहीं महाविद्यालय के कई शिक्षक कर्मियों को अनुदान की राशि के साथसाथ आंतरिक स्त्रोतों की राशि से वंचित रखा गया है. उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की है.

Next Article

Exit mobile version