आरा: आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था. बिजली विभाग अपने वादे पर खड़ा नहीं उतरा. शहरवासियों को बिजली कब से 16 से 17 घंटा मिलेगी ? इसका जवाब बिजली विभाग एवं पावर ग्रिड के अधिकारियों के पास तो नहीं है, जो पिछले पांच दिनों से आज बिजली मिलेगी, कल बिजली मिलेगी का राग लगातार अलाप रहे थे. 50 एमवीए का ट्रांसफॉर्मर भी गुरुवार की देर रात तक बिजली सप्लाइ नहीं कर सका. लोड शेडिंग की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. इससे लगता है कि अब शहर की बिजली विश्वकर्मा भगवान के हाथों में चली गयी है.यानी उनके प्रसन्न होने पर ही शायद बिजली मिल सके. अहले सुबह से ही भगवान विश्वकर्मा की पूजा -अर्चना करने के बाद जैसे ही अधिकारियों ने 50 एमवीए के ट्रांसफॉर्मर को लोड शेडिंग पर 10 बजे डाला, मात्र चार मेगा वाट के लोड उठाते समय बिजली पुराने र्ढे के तहत ट्रीप कर गयी.
आपूर्ति बंद, अधिकारी चिंतित
अपने दिये गये वादों के अनुरूप बिजली विभाग एवं पावर ग्रिड के अधिकारियों ने जैसे ही लोड पर ट्रांसफॉर्मर को चलाया, वैसे ही ट्रांसफॉर्मर का रिले खराब हो गया. बिजली की सप्लाइ बंद होते ही अधिकारियों को जैसे सांप सूंघ गया. एक तो कई दिनों की मेहनत बेकार गयी, दूसरा अब जनता का रुख क्या होगा, यह सोच कर वे परेशान हो उठे. आनन-फानन में पटना ग्रिड के टेक्निकल इंजीनियरों को बुलाया गया. देर रात तक यही स्थिति बनी रहीं. मशीन को खोल कर रिल को ठीक करने की प्रक्रिया शुरू रही.
व्यवसायी की बढ़ी परेशानी
बिजली नहीं रहने से व्यापार तो तबाह हो ही रहा है, छोटे-छोटे बच्चे त्रहिमाम कर रहे हैं. स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि छोटे-छोटे उद्योग धंधे बंद हो गये हैं. बचे-खुचे उद्योग जेनेरेटर के सहारे कुछ दिन और चलेंगे. रात्रि पहर दूधमुंहे बच्चे से लेकर 10 वर्ष की बच्चे तक सो नहीं पा रहे हैं. स्कूली बच्चों की पढ़ाई में पिछले कई महीनों से बाधा उत्पन्न हो रही है. लोग लालटेन युग में जी रहे हैं.
अब क्या कहते हैं अधिकारी
बिजली विभाग एवं पावर ग्रिड के अधिकारी अब पिछले पांच दिनों की तरह समय देने से कतरा रहे हैं. उनका कहना हैं कि मशीनी कार्य में थोड़ी बहुत फॉल्ट है. उसे ठीक करने का कार्य चल रहा है. आशा है कि देर रात तक लोगों को बिजली मिलने लगेगी.