आरा. जिले में सामान्य से 39.98 प्रतिशत कम वर्षापात के कारण 8469 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल नहीं लग सकी. वहीं लगायी गयी धान की फसलों पर भी सूखा का बादल मड़राने लगा है. जिला प्रशासन ने सरकार को खरीफ मौसम 2013 में 13 सितंबर तक सामान्य वर्षापात 766.53 मिमी के विरुद्ध वास्तविक वर्षापात 460.0 मिमी होने के कारण सरकार से भोजपुर को सूखाग्रस्त घोषित करने की अनुशंसा की है. जिले में खरीफ मौसम 2013 में 1 लाख 15 हजार हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके विरुद्ध अब तक 1 लाख 5 हजार हेक्टेयर भूमि में ही धान की फसल लगायी जा सकी है, जो लक्ष्य का 91.6 प्रतिशत है. वहीं बाढ़ के कारण जिले में 9 हजार 771 हेक्टेयर भूमि में लगी धान फसल नष्ट हो गयी है, खरीफ मौसम में बाढ़ और सूखा के कारण करीब 18 हजार 200 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल नहीं लगने के कारण कृषि विभाग ने ऐसी भूमि पर आकास्मिक फसल योजना के तहत सरसों फसल लगाने के लिए किसानों के बीच 350 क्विंटल सरसों बीज शिविर के माध्यम से वितरित किया गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसानों को एक एकड़ भूमि में धान की फसल लगाने में लगभग 10 हजार रुपये की लागत आने का अनुमान है.
कितना मिला अनुदान
भोजपुर जिले को सरकार से डीजल अनुदान मद में 8 करोड़ 73 लाख 32 हजार 600 की राशि मिली है. इसके आलोक में जिला कृषि कार्यालय में सभी प्रखंडों को फिलहाल 2 करोड़ 77 लाख रुपये की राशि आवंटित कर दी गयी. इसके विरुद्ध जिले में अब तक 1 करोड़ 32 लाख की राशि बांदी गयी है.
क्या कहते हैं किसान
गड़हनी प्रखंड के सहंगी गांव के किसान प्रमोद सिंह का कहना है कि वर्षापात सामान्य से कम होने तथा अब तक नहरों में पानी नहीं आने के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सरकार को फसल बीमा देनी चाहिए. उदवंतनगर निवासी अजीत सिंह का कहना है कि फिलहाल नहर में पानी नहीं होने के कारण फसल पानी के अभाव में सूखने लगी है. डीजल अनुदान भी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.
नहरों की स्थिति
जिले की नहरों में पानी नहीं रहने के कारण किसानों के समक्ष खेतों में लगी धान की फसल को बचाने में मशक्कत करनी पड़ रही है, जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऊपर से ही जिले को जितनी पानी मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिल रही है.
बोले कृषि पदाधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि सूखाग्रस्त की स्थिति को देखते हुए विभाग द्वारा आकास्मिक फसल योजना लगाने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं डीजल अनुदान मद की राशि किसानों के बीच वितरित की जा रही है.