सेहत व पठन-पाठन पर ध्यान देंगे कैदी
* मंडल कारा में कैदियों के लिए खुले जिम व पुस्तकालय* प्रेरणा योजना के तहत 100 कैदियों को साक्षर बनाने के उद्देश्य से पाठ्य सामग्री का किया गया वितरण* तीन अलग-अलग कमरों में खुले जिम, पुस्तकालय व म्यूजिक रूमआरा : मंडल कारा में बंद बंदियों को बेहतर बनाने के लिए कारा प्रशासन ने पहल शुरू […]
* मंडल कारा में कैदियों के लिए खुले जिम व पुस्तकालय
* प्रेरणा योजना के तहत 100 कैदियों को साक्षर बनाने के उद्देश्य से पाठ्य सामग्री का किया गया वितरण
* तीन अलग-अलग कमरों में खुले जिम, पुस्तकालय व म्यूजिक रूम
आरा : मंडल कारा में बंद बंदियों को बेहतर बनाने के लिए कारा प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है. बंदियों के स्वस्थ रखने तथा स्वाध्याय से जोड़ने के लिए मंडल अस्पताल के हॉल में जिम, पुस्तकालय व वाद्य यंत्र का उद्घाटन जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल ने किया. अब स्वस्थ शरीर के साथ पठन-पाठन भी करते दिखेंगे मंडल कारा के बंदी.
इसके लिए मंडल कारा प्रशासन द्वारा तीन अलग-अलग कमरों में बंदियों की सेहत का ख्याल रखते हुए जिम व बंदियों को स्वाध्याय से जोड़ने के लिए पुस्तकालय एव मनोरंजन के उद्देश्य से वाद्य यंत्र उपलब्ध कराया गया.
जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल ने रविवार को मंडल कारा पहुंच जिम व पुस्तकालय का उद्घाटन के बाद प्रेरणा योजना के तहत निरक्षर को साक्षर बनाने के उद्देश्य से 100 बंदियों के बीच बैग में भर कर किताब, स्लेट, रबर, कटर, पेंसिल सहित अन्य पाठ्य सामग्री को उपलब्ध कराया.
उद्घाटन भाषण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि बंदियों को धार्मिक व जेनरल किताब उपलब्ध कराया गया है ताकि उनके सोच में बदलाव हो सके और वे समाज के मुख्य धारा से जुड़ सके. उन्होंने बंदियों से शांतिपूर्वक रहने का अपील की. इस दौरान सदर एसडीओ माधव सिंह, ओएसडी लाल ज्योति नाथ शाहदेव, जेल अधीक्षक बलाउद्दीन खां, जेलर मधुबाला सिन्हा समेत कई अधिकारी उपस्थित थे.
* मनोरंजन की सभी सुविधाएं
मंडल कारा के बंदियों को स्वस्थ्य रखने के उद्देश्य से 80 हजार की लागत से जिम खोला गया. इसमें व्यायाम की तमाम सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी. वहीं 82 हजार रुपये की लागत से हारमोनियम, तबला, ढोलक, झाल, मंजिरा आदि वाद्य यंत्र मंडल कारा प्रशासन को उपलब्ध कराया गया. इस वाद्य यंत्रों से बंदी खाली समय में मनोरंजन के साथ-साथ गायन का भी मजा ले पायेंगे.
वहीं 30 हजार की लागत से धार्मिक व जेनरल किताबों की खरीदारी कर पुस्तकालय में रखा गया ताकि बंदी महापुरुषों के जीवन से सीख ले सके. इसके साथ ही पुस्तकालय में रखी अन्य पुस्तकों से बंदी स्वाध्याय भी कर सके. वहीं 18 हजार रुपये की लागत से किताबों के रख रखाव के लिए अलमीरा की खरीदारी भी की गयी है. वहीं प्रेरणा योजना के तहत 100 बंदियों के बीच हजारों रुपये की लागत से पाठ्य सामाग्री का वितरण किया गया.