संदेश
2010 के विधानसभा चुनाव में संदेश सीट पर भाजपा को पहली बार जीत मिली थी. भाजपा के संजय टाइगर ने निर्दलीय प्रत्याशी अरुण कुमार को हरा कर जीत दर्ज की थी़ इसके पहले इस क्षेत्र से राजद, माले, लोकदल, जनता दल और कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. 2005 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से राजद के विजेंद्र यादव ने भाजपा के संजय टाइगर को हरा कर चुनाव जीता था. श्री यादव वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भी राजद से विधायक थे, जबकि फरवरी, 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद प्रत्याशी को भाकपा माले के प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद के हाथों शिकस्त मिली थी़
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों के संभावित प्रत्याशियों ने जनसंपर्क शुरू कर दिया है. महागंठबंधन को लेकर जदयू, राजद, कांग्रेस व राकांपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह है. वहीं, भाजपा के अलावा राजग के अन्य घटक दल लोजपा व रालोसपा के कार्यकर्ता भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में जुटे हैं. भाकपा माले की ओर से भी स्थानीय समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. भाजपा की सीटिंग सीट होने के कारण एनडीए में भाजपा की दावेदारी है. दूसरी तरफ, महागंठबंधन में राजद अपना दावा कर रहा है. जदयू की तरफ से भी उम्मीदवार उतारने का दबाव है.
अब तक
पूर्व मंत्री सोनाधारी सिंह जदयू छोड़ भाजपा में शामिल. पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे अरुण कुमार राजद से टिकट की दौड़ में.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़ वहीं भाजपा का विधान सभा क्षेत्र स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़
जनता से संवाद में जुटे सभी
बड़हरा
भोजपुर जिले का बड़हरा विधानसभा क्षेत्र ही मिनी चितौड़गढ़ के नाम से जाना जाता रहा है़ इस सीट से अलग-अलग पार्टियों से अब तक एक खास जाति के उम्मीदवार जीतते आये हैं़ फिलहाल इस सीट से राजद के राघवेंद्र प्रताप सिंह विधायक हैं़ पिछले विधानसभा चुनाव में सिंह ने जदयू की प्रत्याशी आशा देवी को पराजित किया था़ इस बार के चुनाव में इस सीट पर महागंठबंधन और राजग के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं. हालांकि कुछ पंचायतों में भाकपा माले की भी अच्छी पकड़ है.
उम्मीद की जा रही है कि इस बार विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी रहेंगे. महागंठबंधन के उम्मीदवार विकास और सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पर जनता से वोट मांगेंगे. वहीं एनडीए के उम्मीदवार केंद्र सरकार की उपलब्धियों के साथ जनता के बीच जायेंगे. एनडीए के उम्मीदवार राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर करते हुए जनता को अपने पक्ष में करने की
कोशिश करेंगे. महागंठबंधन के समक्ष जदयू व राजद की दोस्ती को जमीन पर उतारना और उसे वोट में तब्दील करना बड़ी चुनौती है. गंगा में कटाव को रोकना और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण व बिजली पहुंचाना क्षेत्र के लिए प्रमुख मुद्दा है.
अब तक
पिछले चुनाव में जदयू की प्रत्याशी रहीं आशा देवी अब भाजपा में हैं. भाई ब्रह्मेश्वर कांग्रेस छोड़ कर जद यू में शामिल हो गये हैं.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़ वहीं भाजपा का विधान सभा क्षेत्र स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़
तीन टर्म से भाजपा का कब्जा
आरा
आरा विधानसभा क्षेत्र के ज्यादातर वोटर शहरी इलाके के हैं. पिछले तीन टर्म से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. भाजपा विधायक सह बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह वर्ष 2000 से आरा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं़ वे वर्ष 2010 में चौथी बार इस विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर चुके हैं़ वर्ष 2000 के पूर्व इस सीट से राजद, जनता दल तथा कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को महागंठबंधन की वजह से नयी चुनौतियों का मुकाबला करना होगा.
जदयू, राजद व कांग्रेस के तालमेल की वजह से सामाजिक समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है. भाजपा के साथ विधानसभा चुनाव में लोजपा और रालोसपा होगी. ऐसे में राजद और कांग्रेस का आधार वोट जदयू के साथ हो जायेगा. वहीं, भाजपा के साथ लोजपा और रालोसपा के आधार वोट होंगे. वहीं, विधानसभा चुनाव में भाकपा माले भी अपनी ताकत का एहसास कराने की पुरजोर कोशिश करेगी. माले स्थानीय मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करती रही है. पिछले पांच वर्षो में आरा शहर का तेजी से विस्तार हुआ है और क्षेत्र में युवा वोटरों की संख्या बढ़ी है. इन दिनों क्षेत्र में जगह-जगह बैनर-पोस्टर टांगे जाने लगे हैं. चुनावी फिजांबन रही है.
अब तक
2000 में पहली बार भाजपा को इस सीट पर कामयाबी मिली थी़ इससे पूर्व, यहां से 1990 में वशिष्ट नारायण सिंह चुनाव जीते थ़े
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन व परचा पर चर्चा कार्यक्रम हो चुका है. भाजपा का विधानसभा क्षेत्र कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़
मुन्नी देवी इस सीट से लगा चुकी हैं हैटट्रिक
शाहपुर
शाहपुर विधानसभा क्षेत्रब्राह्मण बहुल क्षेत्र माना जाता है़ इसलिए राजनीतिक दल यहां के सामाजिक आधार को देखते हुए अपना-अपना प्रत्याशी तय करते रहे हैं. हालांकि कई बार स्थितियां बदली भी हैं. शाहपुर सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व बिंदेश्वरी दुबे ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी़ इस विधानसभा क्षेत्र में शुरू से ही ब्राह्मण जाति के प्रत्याशियों को जीत मिली है. लेकिन, वर्ष 1990 और 1995 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व धर्मपाल सिंह ने किया था.
1990 का चुनाव धर्मपाल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीता था, जबकि 1995 का चुनाव जनता दल के उम्मीदवार के रूप में. इस सीट से शिवानंद तिवारी भी विधायक रह चुके हैं़ वहीं, वर्तमान भाजपा विधायक मुन्नी देवी पिछले तीन बार से लगातार चुनाव जीत रही हैं़ महागंठबंधन की ओर से प्रत्याशी अभी तय नहीं है. जद यू और राजद दोनों की सीट पर दावेदारी है. देखना होगा कि महागंठबंधन की ओर से किसे उम्मीदवार बनाया जाता है. चुनाव में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि गैर ब्राह्मण वोटों की एकजुटता किस हद तक हो पाती है. भाजपा की ओर से कोशिश होगी कि वह विभिन्न सामाजिक आधारों को अपने पक्ष में खड़ा कर महागंठबंधन की रणनीति को आकार नहीं लेने दे. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि महागंठबंधन किसे प्रत्याशी के रूप में उतारता है. क्षेत्र का एक हिस्सा दियारा इलाके में भी आता है.
अब तक
कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री स्व बिंदेश्वरी दूबे, रामानंद तिवारी, निर्दलीय व राजद से शिवानंद तिवारी विधायक रह चुके हैं शिवानंद तिवारी सक्रिय राजनीति से हट चुके हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट के लिए कई नेता दौड़ में हैं.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन व परचा पर चर्चा कार्यक्रम भी किया गया है़ हर घर दस्तक के तहत कई नेता घूम चुके हैं. भाजपा का विधानसभास्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़ जोर वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने पर है.
पाला बदलने से स्थिति बदली
जगदीशपुर
जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र की जब हम चर्चा करते हैं, तो इसके केंद्र बिंदु रहे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्घा बाबू वीर कुंवर सिंह से जुड़ी स्मृतियां बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं़, वीर कुंवर सिंह किला मैदान में आयोजित चुनावी सभाओं की यादें ताजा हो जाती हैं, जहां देश-प्रदेश के बड़े नेताओं ने चुनावी भाषण दिये थे. इस क्षेत्र से चुने गये दो-दो विधायक बिहार सरकार में मंत्री रहे है़ं ये हैं पूर्व मंत्री हरिनारायण सिंह तथा श्रीभगवान सिंह कुशवाहा. वहीं इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व वीर बहादुर सिंह जैसे बाहुबली भी कर चुके हैं़
वर्तमान में यहां के विधायक राजद नेता भाई दिनेश हैं. वे पहली बार चुनाव जीते हैं़ विधायक भाई दिनेश ने पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को हराया था़ उस वक्त श्री कुशवाहा जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे. लेकिन, इस बार स्थितियां बदली हुई हैं. श्री कुशवाहा जदयू से पाला बदल राजद में शामिल हो गये है़ं भाई दिनेश की पहचान संघर्षशील नेता के रूप में है. महागंठबंधन बन जाने के बाद राजद व जदयू साथ-साथ है. भाजपा भी चुनावी फतह पाने के लिए अभी से क्षेत्र में जी-जान से जुटी है. पिछले साल लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से राजद को बढ़त मिली थी. भाजपा के समक्ष यह एक चुनौती की तरह है.
अब तक
श्री भगवान सिंह कुशवाहा अब राजद में हैं. राजद विधायक भाई दिनेश से उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन परचा पर चर्चा कार्यक्रम भी किया गया है़ वहीं भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़
कौन होगा राजद-जदयू का प्रत्याशी
तरारी
तरारी विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने से पूर्व इस क्षेत्र की पहचान पीरो विधानसभा से थी़ इस क्षेत्र के वर्तमान जदयू विधायक नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय पिछले चार टर्म से जीतते आ रहे हैं. वर्ष 2000 में पहली बार वह समता पार्टी के टिकट से चुनाव जीते थ़े उसके बाद उन्होंने फरवरी, 2005, नवंबर, 2005 तथा वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की. उन्होंने राजद को हराया था. तब जद यू और भाजपा का गंठबंधन था. अब जद यू और राजद साथ हैं. फिलहाल तरारी विधायक सुनील पांडेय आरा कोर्ट बम बलास्ट प्रकरण में जेल में हैं़ ऐसे में चर्चा इस बात की है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में पाला बदल जदयू के बजाये लोजपा या रालोसपा से चुनाव लड़ सकते हैं़ यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा नेतृत्व को यह स्वीकार होगा या नहीं. महागंठबंधन की ओर से कोशिश होगी कि इस सीट पर हर हाल में जीत हासिल की जाये. इसके लिए कद्दावर उम्मीदवार की खोज हो रही है. कुल मिला कर, यहां का चुनावी समीकरण इस बार बदला-बदला होगा. तीन अलग-अलग धुरियां – एनडीए, महागंठबंधन और भाकपा माले के रूप में नजर आ रही हैं. प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण के हावी रहने की संभावना है.
अब तक
सुनील पांडेय के भाई हुलास पांडेय लोजपा के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़ चुके हैं. सुनील पांडेय खुद जेल में हैं.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन परचा पर चर्चा कार्यक्रम हुआ है़ वहीं भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़
हर दल ने लगाया जोर
अगिआंव
पहले अगिआंव सहार विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था़ नये परिसीमन के बाद अगिआंव विधानसभा क्षेत्र बना. यहां से प्रथम विधायक के रूप में भाजपा प्रत्याशी शिवेश कुमार चुने गये. उन्होंने राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान को हराया था़ इसके पूर्व वर्ष 2005 से ही वे सहार विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा रहे थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. इसके पहले लगातार कई बार से भाकपा माले के प्रत्याशी रामनरेश राम चुनाव जीतते रहे थ़े स्वर्गीय राम ने दलितों को वोट के अधिकार के सवाल को लेकर संघर्ष किया था. लेकिन, 2010 के चुनाव में माले को तीसरा स्थान मिला. वैसे कभी यह सीट कांग्रेस के कब्जे में भी रही थी, जहां से कांग्रेस की ज्योति देवी ने चुनाव जीता था. इस इलाके में भाकपा माले ने जमीन और मजदूरी के सवाल पर लंबा संघर्ष चलाया था. सोन के तट का यह इलाका माले और रणवीर सेना के बीच संघर्ष को लेकर भी चर्चा में रहा है और प्रशासन की नजर में अशांत क्षेत्र रहा है. भाकपा माले के कार्यकर्ता इस बार भी पूरे दम खम के साथ जुटे हैं. वहीं, जदयू कार्यकर्ता भी राज्य सरकार की उपलब्धियों को बताने में पीछे नहीं हैं. भाजपा के नेता भी लोगों के बीच जाकर केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में बता रहे हैं.
अब तक
नक्सलग्रस्त इस सीट को लेकर चुनाव आयोग और प्रशासन की खास नजर है, क्योंकि बूथों पर टकराव का पुराना इतिहास रहा है.
इन दिनों
जदयू का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़़ वहीं भाजपा का विधान सभा क्षेत्र स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हो चुका है़