भगवान की अाराधना से कष्टों का निवारण
आरा : धर्म के अनुसार परिस्थिति को समझाना चाहिए़ उस स्थिति के अनुसार अपने आप को ढालना चाहिए़ यही धर्म में बताया गया है़ उक्त बातें गौसगंज में प्रवचन करते हुए त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परम शिष्य जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं. उन्होंने इस संबंध में कई प्रसंगों की व्याख्या कर उदाहरण भी […]
आरा : धर्म के अनुसार परिस्थिति को समझाना चाहिए़ उस स्थिति के अनुसार अपने आप को ढालना चाहिए़ यही धर्म में बताया गया है़ उक्त बातें गौसगंज में प्रवचन करते हुए त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परम शिष्य जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं.
उन्होंने इस संबंध में कई प्रसंगों की व्याख्या कर उदाहरण भी दिया़ स्वामी जी ने सांप एवं चुहे का किस्सा सुनाया कि किस तरह चुहे ने सांप की मदद की़ उन्होंने कहा कि मनुष्य को खेती व्यापार नौकरी आदि करते हुए भी भगवान की अराधना करनी चाहिए़ अराधना करने से कष्टों का निवारण होता है़.
उन्होंने मंत्र को परिभाषित करते हुए कहा कि जिसका गुणगान करने से मन भर जाये उसे मंत्र कहते है़ उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गृहस्थ आश्रम में रहते हुए अपनी पत्नी के अलावे किसी भी दूसरी स्त्री अर्थात अपने से बडी स्त्री को मां, हम उम्र को बहन एवं छोटी को बेटी के समान मानते हुए जीवन व्यतीत करता है वह ब्रह्मचारी होता है. इस मौके पर सुरेंद्र सिंह, गोरे सिंह, अशोक सिंह, कमलेश सिंह, राम कुमार सिंह, बेनी माधव सिंह, स्वामी जी के शिष्य लाल दास राय, जीतू चंद्रवंशी आदि थे़