लावारिस शव को नोच खा गये कुत्ते
हाथ व पैर का बचा आधा हिस्सा सदर अस्पताल में सरेआम इनसानियत शर्मसार होती रही, लेकिन अस्पताल प्रबंधक से लेकर पुलिस तक हरकत में नहीं आयी. पोस्टमार्टम हाउस के सामने तीन दिनों से अज्ञात शव को कुत्ते नोच रहे हैं. शव गुरुवार तक क्षत-विक्षत हो चुका है. इससे दुर्गंध उठ रही है. इसके बावजूद शव […]
हाथ व पैर का बचा आधा हिस्सा
सदर अस्पताल में सरेआम इनसानियत शर्मसार होती रही, लेकिन अस्पताल प्रबंधक से लेकर पुलिस तक हरकत में नहीं आयी. पोस्टमार्टम हाउस के सामने तीन दिनों से अज्ञात शव को कुत्ते नोच रहे हैं. शव गुरुवार तक क्षत-विक्षत हो चुका है. इससे दुर्गंध उठ रही है. इसके बावजूद शव को हटाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है.
आरा : मरने के बाद इस शरीर की कोई कीमत नहीं. यदि लावारिस हो, तो जिस्म को दो गज जमीन या पंचतत्व में विलिन होने का मौका भी न मिले. इस सच्चाई को सदर अस्पताल में बल मिलता है. यह पहली बार नहीं है, जब सदर अस्पताल में लावारिस शवों को नोच-नोच कर कुत्ते खा रहे थे. एक पैर पोस्टमार्टम रूम में, तो एक हाथ पोस्टमार्टम रूम के पीछे, दूसरा पैर दाहिने तरफ कुत्ते नोच रहे थे. बड़ा ही विभत्स दृश्य था. मानवता को झकझोर देने वाली यह हकीकत सदर अस्पताल में अक्सर देखने को मिलती है. गुरुवार को जब कुत्तों ने शव को आहार बनाना शुरू किया, तो स्थानीय लोग भड़क उठे और विरोध करना शुरू कर दिया.
मुहल्लावासियों में गुस्सा
न्यू करमनटोला मुहल्ला सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम के पीछे पड़ता है. गुरुवार को भी जब लावारिस कुत्ते शव को नोच कर खाने लगे और शव से दुर्गंध आने लगी, तो मुहल्ले वासियों का गुस्सा भड़क उठा. स्थानीय निवासी अभिनव कहते हैं कि यह पहली बार नहीं है. जब कुत्ते शव को नोच कर खा रहे हैं. करोडों की लागत से मरचरी रूम बनने के बाद आखिर यहां पर क्यों पोस्टमार्टम होता है. न्यू करमनटोला निवासी अजय कुमार का कहना है कि कई बार हमलोगों ने सीएस, डीएस व आलाधिकारी से बात की, लेकिन निदान नहीं निकला. हमलोगों का जीना मुहाल हो गया है.