100 के बदले जिले को हो रही 85 मेगावाट बिजली की आपूर्ति

बिजली की आंखमिचौनी से जिले के उपभोक्ता परेशान आरा : सरकार के दावों के विपरीत भोजपुर में बिजली आपूर्ति का हाल खस्ता है. जिले को आवश्यकता के अनुसार बिजली नहीं मिल पाती है. आंकड़ों पर गौर करें, तो करीब 28 लाख की आबादी के लिए महज 85 मेगावाट ही बिजली मिलती है. ऐसे में गरमी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2016 6:29 AM

बिजली की आंखमिचौनी से जिले के उपभोक्ता परेशान

आरा : सरकार के दावों के विपरीत भोजपुर में बिजली आपूर्ति का हाल खस्ता है. जिले को आवश्यकता के अनुसार बिजली नहीं मिल पाती है. आंकड़ों पर गौर करें, तो करीब 28 लाख की आबादी के लिए महज 85 मेगावाट ही बिजली मिलती है. ऐसे में गरमी का मौसम शुरू आते ही जिले में बिजली की आंखमिचौनी शुरू हो जाती है. इससे ऊमस भरी गरमी में जिलावासियों का हाल बदतर हो जाता है. बिजली के अभाव में जहां लोगों की रात की नींद उड़ जा रही है.
वहीं बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती है. शहरवासियों को पेयजल की समस्या भी झेलनी पड़ रही है. सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होती है, जिनके घरों में हैंडपंप नहीं है. समय पर बिजली नहीं आने से पानी की टंकी भरना मुश्किल हो जा रहा है. सूत्रों के अनुसार जिले को करीब सौ मेगावाट बिजली की आवश्यकता है.
उसकी तुलना में महज 85 मेगावाट ही बिजली मिल पाती है. इस स्थिति में ग्रामीण इलाकों में बिजली सप्लाइ के हाल का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. लोगों की मानें, तो ग्रामीण इलाकों में महज पांच से आठ घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जाती है. खासकर शाम होते ही गांवों में अंधेरा छा जाता है. हालांकि ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहर में बिजली की सप्लाइ ठीक-ठाक है.
पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद शहर में होता है
पावर कट : शहर को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के बावजूद पावर कट की समस्या उत्पन्न होती रहती है. इससे शहरवासियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है. इसकी मुख्य वजह शहर की बिजली में कटौती कर ग्रामीण इलाकों में सप्लाइ करना है. इससे शहर में पावर कट होता रहता है. सूत्रों की मानें, तो ग्रामीण क्षेत्र के लिए आवश्यकता से काफी कम बिजली की सप्लाइ की जाती है. ऐसे में गांवों में नियमित बिजली की आपूर्ति नहीं हो पाती है. इसे देखते हुए कभी-कभी शहर की बिजली से कटौती कर ग्रामीण इलाकों में सप्लाइ की जाती है. नतीजा होता है कि शहर की बिजली गुल हो जाती है. सूत्रों के अनुसार शहर के लिए 40 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. इसके बदले ऊपर से 38 मेगावाट की सप्लाइ की जाती है. इसके बावजूद शहर में बिजली की आंखमिचौनी चलती रहती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. शहर में आवश्यकता के अनुसार बिजली की सप्लाइ भी की जाती है. हालांकि ग्रामीण इलाकों के लिए आवश्यकता के अनुसार बिजली नहीं मिल पाती है. इसी कारण कभी-कभी शहरी इलाके की बिजली की कटौती कर ग्रामीण इलाकों में सप्लाइ करनी पड़ती है. बहुत जल्द ग्रामीण इलाकों के लिए भी पर्याप्त बिजली की आपूर्ति होने लगेगी.
राजकुमार, कार्यपालक अभियंता, विद्युत कंपनी, भोजपुर
क्या कहते हैं उपभोक्ता
बिजली की अनियमित आपूर्ति से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आये दिन लो वोल्टेज रहने के कारण परेशानी हो रही है.
बबलू सिंह, व्यवसायी, होमगार्ड मोड़
बिजली की कटौती से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. पेयजल संकट की परेशानी होती है. ओमप्रकाश सिंह, पकड़ी
बिजली के लो वोल्टेज की स्थिति काफी गंभीर है. इससे अनेक परेशानी होती है. विद्युत उपकरण सही ढंग से कार्य नहीं करते हैं.
विजय पांडेय, मोबाइल डिस्ट्रीब्यूटर, शीतलटोला
बिजली की कमी से बच्चों की पढ़ाई, पेयजल की परेशानी आदि कई तरह की दिक्कतें होती हैं. गरमी की भी वही हाल है.
वेंकटेश तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता, गोढ़ना रोड

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