आरा : जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल मरीजों के स्वास्थ्य की अच्छाई के लिए नहीं, वरन उन्हें और भी बीमार बनाने का केंद्र बन कर रह गया है. अस्पताल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, क्योंकि चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर मरीजों के स्वास्थ्य की अच्छाई का दारोमदार है, पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार के नये- नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं. यह स्वास्थ्य का केंद्र नहीं रह कर कई अन्य अव्यावहारिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है.
सदर अस्पताल का विशेष नवजात शिशु इकाई जिसमें उन बच्चों का इलाज होता है, जिन्हें जन्म के साथ ही कई तरह की परेशानियां होती हैं. बच्चे का वजन कम रहने पर, ऑक्सीजन की कमी रहने पर तथा अन्य तरह की परेशानियों का इलाज यहां किया जाता है. पर दुर्भाग्य है कि यह इकाई लापरवाही और बच्चों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार को ही अपना कर्तव्य समझ रहा है. जो बच्चे देश के भविष्य हैं,
उनके साथ इस तरह के अमानवीय व्यवहार समाज की सेहत पर गलत प्रभाव डालेगा. चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी यह भूल जाते हैं कि वह भी कभी बच्चे थे. आलम यह है कि जब कोई महिला अपने बीमार बच्चे को भरती कराने ले जाती हैं, तो इस वार्ड के स्वास्थ्य कर्मी एवं चिकित्सक असंवेदनशीलता की हदें पार कर जाती हैं. इस वार्ड में फ्रिज तक नहीं है. यह लापरवाही का ही परिणाम है.
महिला वार्ड में पुरुष मरीज की करते हैं भरती
अस्पताल की स्थिति यह है कि पुरुष वार्ड में महिला मरीज को बेड आवंटित किया गया है और महिला वार्ड में पुरुष मरीज को. महिला सर्जिकल वार्ड नं दो में मनैनी के रवींद्र कुमार को तथा पुरुष सर्जिकल वार्ड में दुलारपुर डेम्हां की जगमानो देवी को रखा गया है. यह नियम विरुद्ध है. इस वार्ड के मरीजों ने बताया कि पूरी रात कोई भी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी वार्ड निरीक्षण में नहीं आता है. रात भर लोग अपनी भाग्य पर रहते हैं. भोजन भी उचित मात्रा में नहीं मिलता है तथा दवा भी बाहर से खरीदने को कहा जाता है.
छह माह से इलाजरत हैं दीपू प्रसाद, पर सही ढंग से नहीं हो रहा इलाज
सबसे दिलचस्प बात तो तब सामने आयी, जब करमन टोला आरा के दीपू प्रसाद विगत छह माह से पड़े हुए हैं, पर उनका उचित इलाज नहीं किया जा रहा है. कमर के नीचे का पूरा अंग सुन्न हो गया है. उनकी पत्नी ने विलखते हुए बताया कि उनके शरीर से बदबू आ रही है, पर उनका सही इलाज नहीं किया जा रहा है. गरीबी के कारण प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा पाना मेरे लिए संभव नहीं है. अस्पतालों को लेकर भले ही सरकार बड़े – बड़े दावे करे, पर सच्चाई इसके विपरीत है.
क्या कहते हैं मरीज
मेरा बच्चा बीमार है, पर इस वार्ड के चिकित्सक एवं कर्मी इतने असंवेदनशील हैं कि शाम से ही पूरी रात इस वार्ड से उस वार्ड मुझे दौड़ाते रहे. मैं अकेली हूं. मेरे बच्चे की तबीयत बहुत खराब थी. सुबह में जाकर किसी तरह इन लोगों ने मेरे बच्चे को भरती किया. इनके दुर्व्यवहार से मुझे बहुत कष्ट हुआ.
रिंकी देवी, नारायणपुर
वार्ड के स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों का व्यवहार काफी गलत है. यहां दवा भी नहीं दी जाती. कागज के सादे टुकड़े पर दवा का नाम लिख कर बाहर दुकान से खरीदने को कहा जाता है. निर्धारित मात्रा में भोजन भी नहीं दिया जाता है. जो भी भोजन मिलता है, वह काफी घटिया स्तर का होता है.
राजेश्वरी देवी, बाली, सोनवर्षा
शिकायत की जांच कर कार्रवाई होगी
मैं अभी नया आया हूं. सभी समस्याओं की जांच कराऊंगा. गड़बड़ी होने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. मरीज हमारे लिये महत्वपूर्ण हैं.
डॉ रास बिहारी सिंह, सिविल सर्जन