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गांव की माटी में मिल गये शहीद अशोक

शहीद अशोक के पािर्थव शरीर के अंतिम दर्शन करते माता-पिता व पुत्र. दोपहर 11:40 में पहुंचा तिरंगे में लिपटा शहीद अशोक का शव पति का पािर्थव शरीर देख दहाड़ मार कर रो पड़ी पत्नी संगीता आरा : मंगलवार की दोपहर 11:40 बजे शहीद अशोक का शव पीरो अनुमंडल के जितौरा बाजार स्थित रकटु टोला में […]

शहीद अशोक के पािर्थव शरीर के अंतिम दर्शन करते माता-पिता व पुत्र.

दोपहर 11:40 में पहुंचा तिरंगे में लिपटा शहीद अशोक का शव
पति का पािर्थव शरीर देख दहाड़ मार कर रो पड़ी पत्नी संगीता
आरा : मंगलवार की दोपहर 11:40 बजे शहीद अशोक का शव पीरो अनुमंडल के जितौरा बाजार स्थित रकटु टोला में लाया गया तो सबकी आंखें नम हो गयीं. शहीद को सेना के जवानों ने सलामी दी. इसके बाद जैसे ही शहीद अशोक की पत्नी संगीता के पास शव को ले जाया गया वह दहाड़ मार कर रोने लगी. बिहार सरकार के अधिकारियों ने सरकार की ओर से पांच लाख रुपये का चेक देने का प्रयास किया लेकिन शहीद की पत्नी ने कहा कि मेरा सोना चला गया अब मुझे कोयला नहीं चाहिए.
पिता की आंखें देख नहीं पायी लेकिन घर में आये लोगों की आवाज सुन कर सेना के अधिकारियों के सामने रो पड़े. वहां शायद ही ऐसा कोई होगा जिसकी आंखों में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा नहीं होगा. शहीद का शव लेकर आये सेना के अधिकारियों, बिहार सरकार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, जगदीशपुर विधायक रामविशुन सिंह लोहिया, पूर्व विधायक भाई दिनेश, जिलाधिकारी डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव, पुलिस कप्तान छत्रनील सिंह, सदर एसडीओ नवदीप शुक्ला समेत तमाम अधिकारियों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहां उमड़ा जनसैलाब काफी देर तक पाकिस्तान से बदला लो का नारा लगा रहा था. इसके बाद बड़े बेटे वसेना से ट्रेनिंग कर वापस लौटे विकास ने गांव के बाहर पिता को मुखाग्नि दी.
अपनी ही मिट्टी में हुए विलीन : मरने के बाद लोग श्मशान घाट ले जाकर अग्नि को समर्पित करते हैं. लेकिन, शहीद अशोक को अपने ही गांव की मिट्टी पर अग्नि में समर्पित होने का सौभाग्य मिला. पिता जगनारायण, मां राजमुन्ना देवी, पत्नी संगीता देवी, बड़ा बेटा विकास तथा छोटे बेटे विशाल सभी की इच्छा थी कि पिता का दाह संस्कार अपनी ही मिट्टी पर किया जाये और ऐसा हुआ भी. बड़े बेटे विकास ने जैसे ही मुखाग्नि दी उसकी आंखों से आंसू सैलाब बन कर उमड़ने लगा. वहां खड़े सभी का कलेजा द्रवित हो उठा.
शहीद पिता के पार्थिव शरीर को कंधा देते दोनों बेटे.
भूतपूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष पुष्पांजलि देते हुए.
मेजर ने कहा, गर्व है देश को
शव जैसे ही रकटु टोला स्थित शहीद अशोक के घर पर लाया गया, दानापुर से आये मेजर ने शहीद की पत्नी संगीता देवी से मिल कर उन्हें ढाढ़स बंधाया और कहा कि मुझे गर्व है कि ऐसे वीर सपूत हमारी सेना में थे. पत्नी ने कहा कि मेरे पति को सम्मान मिले, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी. दानापुर से आये मेजर समझाते रहे.
बस नजदीक है रकटु टोला
शहीद अशोक के घर का पता हर कोई जानता था, वह इतना चहेता था कि जगदीशपुर के बाद सड़क के किनारे खड़े चाहे वह दुकानदार हो या फिर राहगीर अथवा बच्चा हो, ऐसा कोई नहीं था जो शहीद अशोक का पता नहीं जानता था. आने-जाने वाले जैसे ही पूछते कहां है रकटु टोला, कह उठते बस नजदीक है रकटु टोला, शहीद अशोक का घर.
चिता की लौ बुझते ही पसर गया सन्नाटा
शहीद अशोक के शव को अग्नि की लौ में समर्पित करने के बाद लोग वापस लौट गये. अधिकारी दूर-दूर तक दिखायी नहीं दे रहे थे और सेना के आये लोग वापस चले गये. रकटु टोला स्थित शहीद अशोक के घर के आगे सन्नाटा दिखायी दे रहा था. गलियां सुनसान थीं और रास्ते चीख-चीख कर गवाही दे रहे थे कि जरूर यहां कुछ हुआ है. शहीद अशोक के दरवाजे पर सिर्फ परिजनों की भीड़ दिखायी दे रही थी. बुढ़े पिता शांत थे और कभी-कभार अंदर से मां राजमुना देवी की चीत्कार सुनायी देती, तो कभी संगीता देवी की. बाहर आने पर गलियों में कुत्तों की रोने की आवाज तथा उनके घर से निकल रही चीत्कार माहौल को और भयावह बना रही थी.

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