बैंकों में राहत, एटीएम पर आफत
नोटबंदी. आज भी नहीं खुलीं सभी एटीएम, बाजारों में लौटने लगी चहल-पहल आरा : काला धन तथा नकली करेंसी के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाये गये कदम के आठ दिन बाद बैंकों में अब भीड़ कम गयी है. आठ दिनों से जारी अफरातफरी अब बहुत हद तक व्यवस्थित नजर आ रही है. लेकिन, आज […]
नोटबंदी. आज भी नहीं खुलीं सभी एटीएम, बाजारों में लौटने लगी चहल-पहल
आरा : काला धन तथा नकली करेंसी के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाये गये कदम के आठ दिन बाद बैंकों में अब भीड़ कम गयी है. आठ दिनों से जारी अफरातफरी अब बहुत हद तक व्यवस्थित नजर आ रही है. लेकिन, आज भी एटीएम में उसी तरह लंबी लाइन लगी हुई है. पांच सौ तथा हजार के पुराने नोट को लेकर लोग अब भी परेशान हैं.
बाजार धीरे-धीरे ग्राहकों से गुलजार होने लगा है. बैंकों में पैसा निकालने वालों की भीड़ आज ज्यादा रहीं, जबकि जमा और बदलने वाले लोग कम दिखे. एटीएम पर मारामारी की स्थिति बरकरार है. निर्धारित समय से घंटों पहले ग्राहकों की लंबी लाइन लग जा रही है. 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद से जिले की सभी एटीएम अब तक नहीं खुली है,
जिससे लोगों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. कई जगहों पर अब भी एटीएम आउट ऑफ सर्विस हैं और कई जगह पैसे नहीं निकल रहे हैं. इसके कारण लोगों में गुस्सा भी है. नये नोटों के लिए सुबह से ही एटीएम के बाहर लोगों की लंबी कतार लग जा रही है. लोग अपने दफ्तरों को छोड़ लाइनों में लगे दिख रहे हैं. आलम यह है कि कई जगह एटीएम का शटर बंद है, लेकिन लोग लाइनों में खड़े हैं. बैंकों में जमा करने वालों के हाथ की अंगुलियों में स्याही लगवायी जा रही है, ताकि बैंकों में भीड़ कम हो.
राहत की बात यह है कि पिछले आठ दिनों से शहर में जो अफरातफरी लोगों के बीच थी, वह कम हो रही है. कल देर शाम तक बैंकों के बाहर लंबी लाइन लगी थी. आज भीड़ शहर के किसी बैंकों में देखने को नहीं मिली. मंगलवार की तुलना में आज लगभग 30 फीसदी कम भीड़ देखी गयी. हालांकि, कैश निकालने और जमा करने में जरूरत से अधिक समय लगने से लोगों में आक्रोश देखा गया. बैंक अधिकारियों ने भी आज भीड़ कम होने की बात कही. अधिकतर लोग जरूरत नहीं रहने के बावजूद नोट बदलने बैंक पहुंचे थे.
आज की स्थिति को देखते हुए लगता है कि दो-चार दिनों में सब कुछ सामान्य हो जायेगा. नवादा के एसबीआइ की मुख्य शाखा में भी भीड़ कम देखी गयी. वहीं, महावीर टोला स्थित इलाहाबाद बैंक में लोगों की लंबी कतार देखी गयी. पीएनबी, केनारा, यूनियन बैंक सहित जिले के सभी बैंकों में भीड़ कम रहीं.
पेंशनधारियों को मिली राहत : नोट बदले के कारण पेंशनधारियों की परेशानियों को देखते हुए बैंकों ने उनके लिए सालाना लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की समयसीमा 30 नवंबर से बढ़ा कर 15 जनवरी तक कर दी है. इससे बैंक में कुछ भीड़ कम हो रही है.
बिहिया के बैंकों में दो घंटे तक करना पड़ रहा इंतजार : पुराने नोटों को बैंकों में बदलने व जमा करने को लेकर बैंक शाखाओं में रोजाना लगने वाली भीड़ बुधवार को भी उमड़ी रही. बैंक शाखाओं के गेट पर लोग प्रत्येक दिन की तरह बैंक खुलने से कई घंटे पहले ही पहुंच गये. नगर स्थित भारतीय स्टेट बैंक में बुधवार को काफी देर से नोटों का आदान-प्रदान शुरू हुआ. बताया जाता है कि कैश इंचार्ज के बिलंब से आने के कारण लोगों को दो घंटों तक लाइन में इंतजार करना पड़ा. वहीं, एसबीआइ की तीन एटीएम में से एक एटीएम चालू रही.
पीएनबी बैंक में रुपये बदलने व जमा करने का कार्य सुचारु रूप से चलता रहा, जबकि एटीएम बंद रही. यूनियन बैंक में भी सिर्फ खाताधारकों को भुगतान किया जाता रहा, जबकि एटीएम बंद रही. दोपहर बाद बैंक का लिंक भी फेल हो गया, जिससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ी. बताया जाता है कि अक्सर ही यूनियन बैंक का लिंक फेल हो जा रहा है.
वहीं, यूको बैंक में लोगों को सौ रुपये का नोट दिया जा रहा था, जबकि एटीएम बंद थी. नगर स्थित पोस्ट ऑफिस में मंगलवार से सीमित मात्रा में कैश आने के बाद नोट बदलने का कार्य चल रहा है. कई बैंकों की महिला कर्मियों ने बताया कि बैंक में रोजाना देर शाम तक कार्य करने के कारण उन्हें आवागमन व खाने-पीने में परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. वहीं, लगन के इस मौसम में शादी-विवाह वाले घरों के लोगों को रुपयों के अभाव में भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.
एटीएम से रुपये निकालने के लिए लगी लंबी कतार.
बंद एटीएम के खुलने के इंतजार में बैठे लोग.
आपस में भिड़े दो लोग, जम कर चला बेल्ट
उस समय स्थानीय रेलवे परिसर में अफरातफरी मच गयी, जब पैसा निकालने के दौरान लाइन में लगने को लेकर दो लोग आपस में भिड़ गये. दोनों तरफ से जम कर लात-मुक्के और बेल्ट चले, जिससे काफी देर तक अफरातफरी मची रही. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच मामले को शांत कराया. विदित हो कि पैसा निकालने को लेकर एटीएम पर लोगों की भारी भीड़ लग रही है. हालात इतने बेकाबू हो जा रहे हैं कि प्रशासन को शांत कराना पड़ रहा है.