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नहीं रहे पीरो के मालवीय राम नरेश शास्त्री

दुखद. सिद्धेश्वरी संस्कृत महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों के थे संस्थापकप्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीSpies In Mauryan Dynasty : मौर्य काल से ही चल रही है ‘रेकी’ की परंपरा, आज हो तो देश में मच जाता है बवालRajiv Gauba : पटना के सरकारी स्कूल से राजीव गौबा ने की थी पढ़ाई अब बने नीति आयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2016 4:34 AM

दुखद. सिद्धेश्वरी संस्कृत महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों के थे संस्थापक

पीरो : सिद्धेश्वरी संस्कृत उच्च विद्यालय व संस्कृत महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना करने वाले ‘पीरो के मालवीय’ उपनाम से चर्चित व राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित जाने-माने शिक्षाविद् आचार्य राम नरेश शास्त्री का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बुधवार को अहले सुबह श्री शास्त्री ने पीरो प्रखंड के पचरूखिया गांव स्थित अपने पैतृक आवास पर अंतिम सांस ली. एक जनवरी, 1928 को पचरूखिया गांव के श्यामला नंद मिश्र व मुटरी देवी की संतान के रूप में जन्मे स्व शास्त्री ने शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों से न केवल खुद की पहचान बनायी, बल्कि पीरो सहित भोजपुर जिले का नाम देश भर में रोशन किया.
बचपन से ही कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले इस शख्स ने अपने जुझारू स्वभाव व मेहनत के बूते पचरूखिया जैसे पिछड़े इलाके में संस्कृत उच्च विद्यालय व सिद्धेश्वरी संस्कृत महाविद्यालय की नींव रखकर शिक्षा क्षेत्र में एक मिसाल कायम की. इतना ही नहीं, श्री शास्त्री ने बिहार में पहली बार 1966 में बाबू कुंवर सिंह संस्कृत व ग्राम विज्ञान संस्थान नाम से सूबे का पहला गैर सरकारी संगठन बनाकर एक कीर्तिमान रच दिया. कुछ दिनों तक पीरो उच्च विद्यालय में बतौर शिक्षक सेवा देने वाले श्री शास्त्री बाद में लंबे समय तक संस्कृत महाविद्यालय पचरूखिया से जुड़े रहे. इस दौरान उन्हें 1980 में तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार देकर सम्मानित किया था. कॉलेज से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी श्री शास्त्री दलित बस्तियों में घुम-घुम कर सूअर चराने व मुरगी पालने करनेवाले परिवार के बच्चों को शिक्षित करने में लगे रहे. उनके इस कार्य से प्रभावित चर्चित आइपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने 2003 में खुद पचरूखिया आकर श्री शास्त्री को सम्मानित किया था. श्री शास्त्री के निधन से पीरो के लोग काफी दुखी हैं.
1980 में राष्ट्रपति पुरस्कार से हुए थे सम्मानित

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