बाबा लंगट नाथ धाम : आस्था का है केंद्र, आज उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़

उदवंतनगर. जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर स्थित सोनपुरा पंचायत के अति निर्जन स्थल पर अवस्थित बाबा लंगटनाथ धाम आस्था का केंद्र रहा है, जहां शिव अाराधना कर भक्त मनोवांछित फल को प्राप्त करते हैं. बाबा लंगटनाथ को असुराधिपति त्रिलोक विजयी वाणासुर का आराध्य होने का गौरव प्राप्त है. किंवदंती के अनुसार, भक्त प्रह्लाद के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 24, 2017 8:29 AM
उदवंतनगर. जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर स्थित सोनपुरा पंचायत के अति निर्जन स्थल पर अवस्थित बाबा लंगटनाथ धाम आस्था का केंद्र रहा है, जहां शिव अाराधना कर भक्त मनोवांछित फल को प्राप्त करते हैं. बाबा लंगटनाथ को असुराधिपति त्रिलोक विजयी वाणासुर का आराध्य होने का गौरव प्राप्त है. किंवदंती के अनुसार, भक्त प्रह्लाद के पौत्र व दैत्यराज महात्मा बली के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र वाणासुर के कठिन तपस्या से प्रसन्न हो भगवान शिव ने उसकी राजधानी शोणितपुर में वास किया, जो वर्तमान में भोजपुर जिले के मसाढ़ गांव के नाम से विख्यात है. कालांतर में चेरो खरवार राजाओं ने भी इनकी उपासना की. कारीसाथ स्टेशन के समीप अवस्थित 52 बीघे में फैले उषा तालाब से पांच किमी की दूरी पर बाबा लंगटनाथ का भव्य मंदिर है.
ऐसे हुआ नामकरण : हजारों वर्षों से नग्न अवस्था में पड़ा होने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें लंगटनाथ के नाम से पुकारा गया. करीब सौ वर्ष पहले जैतपुर निवासी गोवर्धन पाठक ने इस शिवलिंग पर भव्य मंदिर बनवाया. जानकारों की मानें, तो मंदिर निर्माण के नींव के लिए ज्यों-ज्यों खुदाई की जाने लगी, शिवलिंग की मोटाई बढ़ने लगी. धरातल के अंदर शिवलिंग का आकार बड़ा होने से बाध्य होकर लिंग पर ही मंदिर बना दिया गया.
नहीं मिला पर्यटक स्थल का दर्जा
आस्था का प्रतीक बाबा लंगटनाथ धाम मध्य बिहार के धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर होते हुए भी सरकारी, गैर सरकारी, धार्मिक अथवा किसी स्वयंसेवी संस्था की नजर आज तक इस ओर नहीं गयी. इस धाम की महत्ता को कम करके आंका गया. वर्ष 2008 में तत्कालीन सीओ अरुण कुमार झा द्वारा बाबा लंगटनाथ धाम को पर्यटक स्थल बनाने को लेकर राज्य सरकार को प्रतिवेदित किया गया था, परंतु आज तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पायी है.

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