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आरा में प्रभात खबर का कवि सम्मेलन आयोजित, नामचीन कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से देर रात तक समां बांधे रखा

शहर के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में शुक्रवार की रात को प्रभात खबर की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से देर रात तक समां बांधे रखा. दिनेश बावरा, अशोक सुंदरानी, पद्मिनी शर्मा, दिलीप दुबे व अशोक चारण ने अपनी कविताओं से लोगों का मन मोह लिया. […]

शहर के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में शुक्रवार की रात को प्रभात खबर की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से देर रात तक समां बांधे रखा. दिनेश बावरा, अशोक सुंदरानी, पद्मिनी शर्मा, दिलीप दुबे व अशोक चारण ने अपनी कविताओं से लोगों का मन मोह लिया. कवियों की प्रस्तुति पर श्रोता तालियां बजा कर हौसला अफजाई करते रहे.

आरा : शहर के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में प्रभात खबर द्वारा आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में कवियों ने देर रात तक समरसता से जुड़ी कविताएं सुना कर हजारों श्रोताओं के बीच समां बांधे रखा. हास्य कवि सम्मेलन का उद्घाटन वीर कुंवर सिंह विवि के उप कुलपति मदन मोहन गोयल के साथ हास्य कवि दिनेश बावरा, अशोक सुंदरानी, पद्मिनी शर्मा, दिलीप दुबे, अशोक चारण ने संयुक्त रूप से किया. मंच का संचालन कर रहे युवा कवि दिनेश बावरा ने अपने चिर-परिचित हास्य अंदाज में कवियों का परिचय कराया, जिससे श्रोताओं के बीच हसी के फव्वारे छूटते रहे.

परिचय के बाद हास्य कवि सम्मेलन का दौर शुरू हुआ जहां शहरवासियों ने जम कर कार्यक्रम का आनंद उठाया. कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा. हास्य कवियों की प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि श्रोता उनकी रचनाओं में गोता लगाते रहे. कवियों ने कभी श्रोताओं को अपनी रचनाओं से हंसने पर मजबूर किया तो कभी गंभीर कर दिया. कवियों ने साहित्य के कई विधाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं पर अपना अमिट छाप छोड़ा. श्रोताओं से खचाखच भरे वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में कवियों की कविताओं पर एक तरफ जहां हंसी के फव्वारे छूटते रहे, वहीं वीर रस की कविताओं में लोगों में जोश व उत्साह का संचार कर दिया. कवियों ने अपने अंदाज में कभी राजनीति के क्षेत्र में नामचीन राजनेताओं पर व्यंग्यात्मक शैली में उनका उद्बोधन कर लोगों को हंसाया. वहीं श्रोताओं को कई क्षेत्र की बातों को उठाकर श्रोताओं को गंभीर भी कर दिया. इस अवसर पर शहर के नामचीन लोगों के साथ-साथ हजारों की संख्या में नगरवासियों ने आयोजन का लुत्फ उठाया. कवि सम्मेलन में दिनेश बावरा, मध्यप्रदेश से अशोक सुंदरानी, दिल्ली से पदमिनी शर्मा, उत्तर प्रदेश कानपुर से दिलीप दुबे, जयपुर राजस्थान से अशोक चारण ने अपनी कविताएं और व्यंग्य से लोगों का मन मोहा. कवि सम्मेलन में नामी-गिरामी कवियों ने लोगों को हंसाया, गुदगुदाया तो वीर रस के साथ प्रेम रस में भी सराबोर किया. तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा स्टेडियम गूंजते रहा.

वहीं हंसी के फव्वारे से वातावरण गुंजायमान होते रहा. कवि सम्मेलन से मानो पूरा वातावरण हास्य साहित्य का गंगोत्री बह रहा हो. दिल्ली से आयी पद्मिनी शर्मा ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया. इसके बाद जब हास्य कवि सम्मेलन का दौर शुरू हुआ तो उपस्थित श्रोताओं को खड़े होकर तालियां बजाने पर कवियों ने मजबूर कर दिया. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ रास बिहारी सिंह, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक सतीश प्रसाद सिन्हा सहित कई चिकित्सक, बुद्धिजीवी व आमलोगों ने शिरकत की.

कार्यक्रम की सफलता में इनकी रही भूमिका

प्रभात खबर द्वारा आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में कई संस्थानों का सहयोग मिला. कवि सम्मेलन में के सिंह विजन क्लासेज के सौजन्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सह प्रायोजक के रूप में माता मंझारों अजब दयाल सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज भी सहयोग रहा. इसके अलावा गलैक्सीया टाउनशीप, संभावना आवासीय स्कूल, महाराजा लॉ कॉलेज, जैन अॉर्नामेंट्स, वास्तु बिहार, अपना बचपन, एसपीएस समता कॉलेज दिनारा, सियाराम व नागरमल सहित कई संस्थानों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इन संस्थानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे, जिनहें अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया.

…वो मरदानी झांसी वाली रानी जैसी लगती है

प्रभात खबर के हास्य कवि सम्मेलन की शुरुआत पद्मिनी शर्मा की वाणी वंदना से हुई. शृंगार रस की कवियित्री पद्मिनी शर्मा ने शाम की घटा को आंख का काजल बना लिया, यादों को यूं समेटा की आंचल बना लिया. जीने का कोई और तरीका न रहा तो खुद को तेरे प्यार में पागल बना दिया और सांस आती रही सांस जाती रही मैं तुझे गीत में गुनगुनाती रही सहित कई रचानाओं की प्रस्तुत की. हास्य कवि दिलीप दूबे ने नोटबंदी पर अपने रचनाओं की प्रस्तुति की. उनकी प्रस्तुति कुछ लोग अपनी पत्नी के द्वारा छिपाये धन को काला धन बता रहे है. लेकिन वे इस बात को समझ नहीं पा रहे है कि उसने जोड़ी पायी है वह कालाधन नहीं है बल्कि पत्नी ने अपना पेट काट कर बचाया है से श्रोता अपनी हंसी नहीं रोक सके. वीर रस के कवि अशोक चारण ने सरहद पर तैनात बेटियों की वीरता का बखान अपनी कविताओं के माध्यम से किया. उनकी प्रस्तुति जब बंदूक उठाती बहते पानी जैसे लगती है वो मरदानी झांसी वाली रानी जैसी लगती है, पर श्रोता खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत करने लगे. हास्य कवि अशोक सुंदरानी ने हम आशिकों पर ही पड़़कर बहुत खुश है, आपने फिर क्यों हमे भ्रष्ट नेताओं पर चला दिया प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कवि दिनेश बावरा ने कुछ पल की एक कहानी सुन कर अगर अभिमन्यु चक्र तोड़ कर अंदर जा सकता है तो क्या दिन रात गाना सुनने वाला बच्चा क्या गाना नहीं गा सकता प्रस्तुत किया.

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