चंदवा,आरा से मिथिलेश
Lok Sabha elections 2024 बाबू जगजीवन राम के पुश्तैनी गांव चंदवा में चुनाव की लहर फीकी है. चंदवा में कई टोले हैं. जिस टोले में बाबू जगजीवन राम का आवास है, उस टोले के लाेगों का कहना है, कि नेता यहांनहीं आते. दल भाजपा का हो या राजद का, इधर किसी का आना नहीं हुआ है. बाबू जगजीवन राम के स्वजातीय रमेश कुमार राम कहते हैं, वोट गिरी. काहे खातिर, जवाब मिलता है. बदलाव खातिर. सरकार बदले के बा. गांव में ही मिल जाते हैं, वीरेंद्र पांडे. चंदवा के ब्राहम्ण टोले के निवासी वीरेंद्र पांडे कहते हैं, लहर बा, उम्मीद से ज्यादा काम भइल बा. अबहियों रिकार्ड बनी. बाबू जी के स्वजातीय रमेश कुमार राम के बेटे रवि कुमार कहते हैं, हम रवि कुमार ही लिखते हैं. बड़ी परेशानी होती है.
सातवां पास रवि गाड़ी चलाते हैं. उनकी पसंद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. हमारा सवाल होता है,योगी भी तो उसी दल के नेता हैं जिस दल के पीएम मोदी हैं, रवि कहते हैं, दोनों में आकाश-जमीन का अंतर है. रवि कहते हैं, वो राजा अच्छा कैसे हो सकता है, जिसकी प्रजा को रोटी कमाने विदेश जाना पड़ता हो. उनकी नाराजगी राजद नेता तेजस्वी से भी है. कहते हैं कि वो भी इस टोले में नहीं आये, लेकिन वोट देने के सवाल पर कहते हैं, वोटवा उनके के पड़ी. इसी टोले में नाई जाति के कालू ठाकुर थोड़ा हट कर कहते हैं, अनाज मिल रहल बा. वोटर लिस्ट में नाम बा,वोटवा गिरी. आरा सीट पर महागठबंधन से भाकपा माले के सुदामा प्रसाद उम्मीदवार हैं. सुदामा प्रसाद के पक्ष में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य की दो सभाएं हुइ्र है. इसके एक दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी, तेजस्वी यादव की भी सभा हो चुकी है.
आरके सिंह का मुकाबला सुदामा प्रसाद से
भाजपा ने तीसरी बार आरके सिंह को उम्मीदवार बनाया है. आरके सिंह के पक्ष में अमित शाह, जेपी नड्डा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सभा हुई है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को चुनावी सभा करेंगे.आरके सिंह के पक्ष्र में जदयू के नेता भी कैंप कर रहे हैं. यहां आरके सिंह का मुकाबला भाकपा माले के सुदामा प्रसाद से हैं. सुदामा प्रसाद यहां के पवना गांव के निवासी हैं. वे भाकपा माले के आरा के तरारी विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विधायक भी हैं.
आम गांव की ही तरह है पूर्व उप प्रधानमंत्री का गांव
चुनाव को लेकर चंदवा के लोगों की जुबानी आंखें खोलने वाली है. बात विकास की नहीं होकर जातिगत गोलबंदी की हो रही है. पटना-आरा बाइपास सड़क से आरा शहर की ओर मुड़ने पर है चंदवा गांव. चंदवा देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम का गांव है. दूर से देखने पर यह आम गांव की तरह ही नजर आता है. किसी के पूछने पर गांव में प्रवेश करने के बाद दायीं ओर दो मंजिली इमारत बाबू जगजीवन राम का पुश्तैनी आवास है.घर में परिवार के कोई सदस्य नहीं रहते. आगे जाने पर एक सामुदायिक जगह है,उससे लगी बाबू जगजीवन राम की समाधि स्थल. मुख्य सड़क पर जगजीवन राम जी के गांव जाने की सड़क पूछने पर लोग ऐसे घुरते हैं जैसे किसी अजनबी जगह को लेकर हम जानना चाह रहे हैं.
भोजपुरी में छिड़ी है बहस
शाहपुर मोड़ पर बेलौती के जयभूषण तिवारी मिलते हैं. वे कहते हैं, छिपाबे का बात बा. वोटवा पड़ी. उनका इशारा भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह की ओर है. वे पूछने पर कहते हैं, बेलाउर में सुदामा प्रसाद के वोट गिरी. उनके साथ बैठे रमण सिंह टोकते हैं, काहे. सबके मिली. कोइ एक वाला बात नइखे. राजशेखर सिंह कहते हैं, पूरा इलाका मोदी मय है. जयभूषण तिवारी कहते हैंख्, बात मोदी की नहीं है, आरके सिंह ने अच्छा काम किया है. हिन्दी और भोजपुरी में कहते हैं,उनके आवास पर लिखल बा ट्रासंफर के पैरवी के लिए नहीं आये. बेलाउर गांव में 1990 के दशक में रणवीर सेना का गठन हुआ था.
सात विधानसभा क्षेत्रों वाला लोकसभा क्षेत्र है आरा
आरा लोकसभा सीट के तहत सात विधानसभा सीटें हैं. इनमें संदेश में राजद की किरणदेवी, बरहरा में भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह, आरा में भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह, अगियावं में अभी रिक्त है, तरारी में भाकपा माले के सुदामा प्रसाद, जगदीशपुर में राजद के रामविष्णु सिंह और शाहपुर में राजद के राहुल तिवारी विधायक हैं. अगियावं विधानसभा से 2020 में भाकपा माले के मनोज मंजिल ने चुनाव जीता था. लेकिन, हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा हो जाने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गयी. अब अगियाव में उप चुनाव कराया जा रहा है. वहीं हाइकोर्ट ने मनोज मंजिल को जामनत पर रिहा कर दिया है. कुल मिलाकर आरा लोकसभा सीट पर भाजपा के आरके सिंह और भाकपा माले के सुदामा प्रसाद के बीच सीधी टक्कर है.
1989 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट से जीते थे रामेश्वर प्रसाद
आरा का इलाका भाकपा माले का संघर्ष का इलाका रहा है. यहां 1989 के लोकसभा चुनाव में जब भाकपा माले इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नाम से भूमिगत संगठन का रूप हुआ करता था, रामेश्वर प्रसाद आरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे थे. उन्हें एक लाख 78 हजार से अधिक वोट मिले. जनता दल के तुलसी सिंह को उन्होंने पराजित किया था. इस चुनाव में कांग्रेस के बलिराम भगत तीसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि इसके बाद आइपीएफ या भाकपा माले को लोकसभा चुनाव में कभी सफलता नहीं मिली. 1989 के बाद हुए 1991 के चुनाव में आरा सीट से रामलखन सिंह यादव चुनाव जीत गये. आइपीएफ के रामेश्वर प्रसाद को तीसरे नंबर पर रहना पड़ा. दूसरे नंबर पर रहे थे धनबाद के बाहुबली विधायक सूरजदेव सिंह.
ये भी पढ़ें…
Rahul Gandhi पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी का मंच टूटा, मीसा भारती ने दिया सहारा