भोजपुरी गानों में जाति और लड़कियों के नाम का तड़का, चंद Views के लिए इन कलाकारों ने मचा रखा है ‘गंध’

Bhojpuri songs: भोजपुरी के इन गानों में अश्लीलता भी ऐसी-वैसी वाली नहीं है. यहां जाति संबोधनों का नाम लेकर बेधड़क गाने बनाये और सुने भी जा रहे हैं. यहां तक तो ठीक भी है. अब भोजपुरी के ये कलाकर जाति के सीमा से पड़े अब सीधे लड़कियों के नाम को लेकर अश्लील गाने बना रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2022 11:41 PM

गौरव कुमार/ पटना: भोजपुरी बहुत ही सुंदर, सरस और मधुर भाषा है. भोजपुरी भाषाभाषियों की संख्या बिहार में काफी है. कभी सिर्फ एक इलाके की भाषा मानी जाने वाली भोजपुरी अब पूरे देश में अपना जलवा बिखेर रही है. सोशल मीडिया से लेकर फिल्मी पर्दे तक इसकी धूम है, लेकिन आज के दौर में भोजपुरी फिल्मों के जिक्र के साथ ही एक शब्द जुड़ता है ‘अश्लीलता’.

भोजपुरी के इन गानों में अश्लीलता भी ऐसी-वैसी वाली नहीं है. यहां जाति संबोधनों का नाम लेकर बेधड़क गाने बनाये और सुने भी जा रहे हैं. यहां तक तो ठीक भी है. अब भोजपुरी के ये कलाकर जाति के सीमा से पड़े अब सीधे लड़कियों के नाम को लेकर अश्लील गाने बना रहे हैं. हैरत की बात यह है कि बीच सड़क पर लोग डीजे की धुन में बेधड़क ‘डिंपलवा, कजलवा, पिंकीया, पूजवा आदि गानों पर खुलेआम मदमस्त होकर नाच रहे हैं.

छुटभैये कलाकर से लेकर बड़े कलाकारों का नाम सूची में 

इन गीतों को भोजपुरी के नये कोपल यानी छुटभैये कलाकर बेलगाम-बैखोफ होकर गा रहे हैं. इन सब के बीच बड़ा सवाल यह उठता है कि सोशल मीडिया पर आकर खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने वाले मन से बौने ये आत्म मुग्ध भोजपुरी कलाकारों की कोई सीमा है भी या नहीं. अगर नये कलाकर अश्लील गीतों को गा रहे हैं, तो खुद को भोजपुरी का ट्रेंडिग स्टार या फिर पावर स्टार कहने वाले इन कलाकारों की क्या जिम्मेदारी है ?

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कहां से हुई कहानी की शुरुआत

इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज के समय में भोजपुरी फिल्म जगत के कंटेट पर कई सवालिया निशान हैं. मौजूदा दौर के निर्माता और निर्देशकों ने भोजपुरी सिनेमा के इतिहास को शायद भुला दिया है. इस फिल्म उद्योग को खड़ा करने वाली हस्तियों के संघर्ष से आज का भोजपुरी सिनेमा अवगत नहीं है. तभी तो हर दिन भोजपुरी फिल्मों में अश्लील शब्दों की बाढ़ आ गई है और दर्शक भी बड़े चाव से देख और सुन रहे हैं.

जातीय गानों के ट्रेंड की शुरुआत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भोजपुरी में जातीय गाना गाने के नये ट्रेंड की शुरुआत टुनटुन यादव ने की थी. दरअसल, बीते साल उन्होंने ‘छह के छह गोली उतार देली छाती में, पावर होला खाली अहीर जाती में’ नामक एक गाना गाया था. यह गीत सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हुआ था. इसे यू-ट्यूब पर 35 लाख से अधिक लोगों ने देखा था. इसके बाद तो भोजपुरी में जातीय गानों की बाढ़ सी आ गयी. भोजपुरी में इस बाढ़ को लाने का श्रेय खेसारी लाल यादव, गुंजन सिंह, समर सिंह और पवन सिंह जैसे दिग्गज कलाकारों को भी जाता है.

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लड़कियों का नाम लेकर गाना गाने का चलन

भोजपुरी में जातीय गानों के बाद लड़कियों का नाम लेकर चलन में आ गया. जैसे पूजवा बदल गइली रे, रात भर नाच के डिंपलवा, कजली के काजल जान मारेली आदि. मीडिया रिपोर्ट की माने तो भोजपुरी में लड़कियों का नाम लेकर गाना गाने का चलन भोजपुरी के नये कलाकार चंदन चंचल का जाता है. कुछ साल पूर्व चंदन चंचल ने पूजवा बदल गयी रे नामक गाना गाया था. यह गाना भी सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हुआ था. इसी गाने के चलते गायक चंदन चंचल पूजवा स्टार के नाम से रातो-रात मशहूर भी हो गये थे. अभी हाल ही में टुनटुन यादव ने रात भर नचाइव रे डिंपलवा नामक एक गाना गाया है. इस गाने के बाद से सोशल मीडिया पर एक बार फिर से जाति और लड़की के नाम को लेकर गाना गाये जाने के विरोध में एक वर्ग जमकर मुखालफत कर रहा है.

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जो बोया है, उसे तो काटना ही पड़ेगा…अब रोने से क्या ?

इन सब के बीच किसी ने खेसारी लाल यादव की बेटी का नाम लेकर एक अश्लील गाना गा दिया. जिसके बाद खेसारी ने भोजपुरी इंडस्ट्री को छोड़ने तक की बात कही. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर यह ट्रेंड कैसे और कब शुरु हुआ. भोजपुरी को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी जिन कलाकारों के कंधों पर है. वह आखिर इस मीठी लोकभाषा का कत्ल करने पर क्यों तुले हुए हैं. क्या भोजपुरी के अश्लील गानों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सरकार की है. खुद को भोजपुरी के भगवान कहने वाले खेसारी या फिर पवन सिंह जैसे कलाकारों की क्या जिम्मेदारी है ?

अश्लीलता की चासनी में डूबा भोजपुरी सिनेमा

गौरतलब है कि मौजूदा वक्त में भोजपुरी फिल्म उद्योग करीब 2000 करोड़ रुपये का हो गया है. लेकिन साल 1999 से 2000 के दौरान यह फिल्म उद्योग खत्म होने के कगार पर था. ऐसे साल 2002 में बनी फिल्म सैयां हमार बढ़िया कारोबार किया और भोजपुरी जगत निर्माताओं और निर्देशकों के बीच फिर से एक उम्मीद की किरण जगी. मगर इस बार भोजपुरी सिनेमा अश्लीलता की चासनी में डूब गया है.

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