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बीएचयू का 100वां दीक्षांत समारोह: धोती-कुर्ता में गोल्ड मेडल लेने पहुंचे गोपालगंज के प्रांजल गिरी

बीएचयू में 100 वें दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ. 2016 से ही बीएचयू में दीक्षांत समारोह का ड्रेस कोड बदल चुका है, लेकिन इस बार धोती पहन कर मेडल लेनेवाले छात्रों की संख्या अच्छी रही. गोपालगंज के प्रांजल गिरी भी धोती पहन कर गोल्ड मेडल लेने पहुंचे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2022 6:37 PM

पटना. बीएचयू में 100 वें दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ. 2016 से ही बीएचयू में दीक्षांत समारोह का ड्रेस कोड बदल चुका है, लेकिन इस बार धोती पहन कर मेडल लेनेवाले छात्रों की संख्या अच्छी रही. गोपालगंज के प्रांजल गिरी भी धोती पहन कर गोल्ड मेडल लेने पहुंचे. गिरी को परमपूज्य अघोराचार्य महाराज श्रीबाबा कीनाराम गोल्ड मेडल मिला है. प्रांजल गिरी को बीए ऑनर्स दर्शनशास्त्र के टॉपर रहे हैं.

छात्रा प्रिया पाण्डेय को स्वर्ण पदक

इसके साथ-साथ दर्शनशास्त्र से बीए आनर्स में सर्वोच्च अंक पाने वाली छात्रा प्रिया पाण्डेय को अघोराचार्य महाराज श्रीबाबा कीनाराम स्वर्ण पदक’ तथा ‘बाबा राजेश्वर राम स्वर्ण पदक’ प्रदान किया गया. दर्शनशास्त्र से ही एमए में सर्वोच्च अंक पाने वाली छात्रा कुमारी नंदनी को अघोरेश्वर भगवान राम स्वर्ण पदक एवं बाबा गुरुपद संभव राम स्वर्ग पदक प्रदान किया गया.

छात्रा राज्यलक्ष्मी तिवारी को भी स्वर्ण

2019 में दर्शनशास्त्र से ही एमए में सर्वोच्च अंक पाने वाली छात्रा राज्यलक्ष्मी तिवारी को भी स्वर्ण इस समारोह में दिया गया. इन्हें अघोरेश्वर भगवान राम स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. बीएचयू ने की है संतो के नाम पर गोल्ड मेडल देने की परंपरा बीएचयू में मेधावियों को प्रोत्साहित करने बाबा राजेश्वर रामजी (बुढ़ऊ बाबा) और बाबा गुरुपद संभव राम के नाम पर भी स्वर्ण पदक सृजन हो गया है. ये पदक प्रत्येक बीए आनर्स दर्शनशास्त्र और एमए दर्शनशास्त्र की परीक्षा में सर्वोच्च अंक अर्जित करने वाले मेधावियों को प्रदान किया जायेगा.

पूरे संत- समाज के लिए गर्व का विषय

इसी क्रम में परमपूज्य अघोराचार्य महाराज श्रीबाबा कीनाराम एवं परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु बाबा भगवान राम के नाम पर संस्था के सहयोग से स्वर्ण पदक देना शुरू कर दिया है. बीएचयू जैसे नामचीन शिक्षण संस्थान में अघोर परंपरा के चार प्रमुख आचार्यों के नाम पर स्वर्ण- पदक का सृजन श्री सर्वेश्वरी समूह और पूरे संत- समाज के लिए गर्व का विषय है.

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