बिहार के सरकारी स्कूलों में 75 % उपस्थिति पर ही मिलेगी साइकिल-छात्रवृत्ति की राशि, जानें क्या है नियम
Bihar news: 2020 व 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश समय स्कूल बंद रहे या ऑनलाइन विधि से पढ़ाई हुई. इन दो वर्षों में छात्र-छात्राओं की 75 फीसदी उपस्थिति के बिना योजनाओं का लाभ दिया गया था.
भागलपुर: जिले के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का अटेंडेंस 75 प्रतिशत पूरा होने पर ही इन्हें साइकिल, पोशाक, नेपकिन व छात्रवृत्ति जैसी विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. शिक्षा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए कक्षा एक से 12वीं तक का नामांकन पूरा हो गया है.
प्रधानाध्यापक व प्राचार्यों को जारी किये गए निर्देश
विद्यालय के प्रधानाध्यापक व प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि 30 सितंबर तक नव नामांकित विद्यार्थियों की पूरी जानकारी मेधासॉफ्ट पोर्टल पर एंट्री कर दी जाये. वहीं पांच अक्तूबर तक छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति के अनुसार मेधासॉफ्ट में YES/NO अपडेट किया जाये. स्कूल द्वारा की गयी एंट्री के बाद जिले के डीपीओ योजना लेखा इस सूची को अपने डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से 15 अक्तूबर तक अनुमाेदित करेंगे. इसके बाद ही जिले के विद्यालयों की सूची के आधार पर छात्रों के खाते में विभिन्न योजनाओं की राशि को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर कराया जायेगा.
इंटर में नामांकन जारी
एसएस बालिका उच्च विद्यालय नाथनगर के शिक्षक प्रेमशंकर ने बताया कि प्रार्थना सत्र में रोजाना विद्यार्थियों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे छात्राओं की उपस्थिति 75 प्रतिशत पूरी होगी. उन्होंने बताया कि इंटर में नामांकन की प्रक्रिया प्रथम सूची के आधार पर पूरी हो गयी है. स्कूल की लगभग 80 फीसदी सीटें फुल हो गयी हैं. 11वीं की कक्षा जारी है. नवनामांकित छात्राएं अगर 15 दिन भी क्लास कर लेती हैं तो उनका 75 फीसदी अटेंडेंस पूरा हो जायेगा. शेष कक्षाओं में नामांकन अप्रैल-मई में ही पूरा हो गया है.
कोरोना काल में दो वर्ष तक उपस्थिति में मिली छूट
बता दें कि 2020 व 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश समय स्कूल बंद रहे या ऑनलाइन विधि से पढ़ाई हुई. इन दो वर्षों में छात्र-छात्राओं की 75 फीसदी उपस्थिति के बिना योजनाओं का लाभ दिया गया. कोरोना संक्रमण काल के बाद भी स्कूल में छात्रों की उपस्थिति कम थी. इस बाबत स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग को यह निर्णय लेना पड़ गया.