बिहार में इओयू की बड़ी कार्रवाई, आरा के पूर्व एमवीआइ के यहां छापे, आय से ढाई गुनी ज्यादा मिली संपत्ति
बालू के अवैध खनन से काली कमाई करने के आरोपित एक अन्य अधिकारी पर फिर गाज गिरी है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में आरा के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक (एमवीआइ) विनोद कुमार के तीन ठिकानों पर छापेमारी की. बुधवार की सुबह शुरू हुई यह छापेमारी देर शाम तक चली.
पटना. बालू के अवैध खनन से काली कमाई करने के आरोपित एक अन्य अधिकारी पर फिर गाज गिरी है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में आरा के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक (एमवीआइ) विनोद कुमार के तीन ठिकानों पर छापेमारी की. बुधवार की सुबह शुरू हुई यह छापेमारी देर शाम तक चली.
इस क्रम में उनके पटना के रूपसपुर के धनौत मोहल्ले में मौजूद शांति इंक्लेव के फ्लैट नं- 204 के अलावा आरा और बक्सर के नवानगर में मौजूद उनके मकानों में एक साथ छापेमारी की गयी. इस दौरान बक्सर में कई प्लॉट का पता चला है. इसके अलावा आरा व पटना में भी कुछ प्लॉट की जानकारी मिली है.
फिलहाल उनके पास से आय की तुलना में 150 फीसदी ज्यादा अवैध संपत्ति का पता चला है. आरोप है कि उन्होंने बालू खनन के अलावा इसे अवैध तरीके से ढोने में बिचौलियों के साथ मिलकर काफी संपत्ति जमा कर ली है.
बांका, भोजपुर, अरवल व सारण में भी रहे थे तैनात
इओयू की तलाशी के दौरान कैश या सोने-चांदी के बहुत ज्यादा जेवरात तो नहीं मिले हैं, लेकिन जमीन-मकान के अलावा कई स्तर पर निवेश के काफी कागजात मिले हैं. इनकी जांच चल रही है. इओयू की अब तक हुई जांच में यह बात सामने आयी है कि विनोद कुमार ने बतौर एमवीआइ बांका, भोजपुर (अरवल का अतिरिक्त प्रभार) और सारण में अपनी तैनाती के दौरान अवैध तरीके से काफी संपत्ति जमा की थी.
उन्होंने अपने और पत्नी के नाम से प्लॉट और अन्य तरह के निवेशों के माध्यम से अकूत संपत्ति अर्जित की थी. विनोद कुमार ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जितनी भी काली कमाई की है, उन सभी की जांच इओयू कर रही है. इसके लिए इओयू के एएसपी के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया है. इनके ही नेतृत्व में छापेमारी भी की गयी.
घूस लेते पकड़े गये थे, फिर भी मिली फील्ड ड्यूटी
अब तक हुई जांच में यह बात सामने आयी है कि 2016 में निगरानी ब्यूरो ने विनोद कुमार को 44 हजार रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था. उनके साथ उनका चालक सह मुंशी सत्य प्रकाश राय भी गिरफ्तार हुआ था. उस समय वह अरवल में एमवीआइ थे. इनके खिलाफ निगरानी ने मार्च, 2018 में कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वह जेल से छूट गये और फिर से परिवहन विभाग ने उन्हें फील्ड ड्यूटी पर तैनात कर दिया.
वो जिस परिवहन कार्यालय से वह घूस लेते गिरफ्तार हुए थे, उसी अरवल परिवहन कार्यालय में एमवीआइ का उन्हें अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. इओयू की इस कार्रवाई के बाद परिवहन विभाग पर भी सवाल उठने लगे हैं कि आखिर किसी भ्रष्ट अफसर को फिर से फील्ड ड्यूटी में तैनात करते हुए एमवीआइ का अतिरिक्त प्रभार कैसे सौंप दिया गया.
Posted by Ashish Jha