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पंचायती राज विभाग का बड़ा फैसला, बिहार में आठ हजार कार्यपालक सहायकों की नौकरी 60 वर्ष तक पक्की

शिक्षकों के तर्ज पर पंचायती राज विभाग ने कार्यपालक सहायकों की नौकरी 60 वर्ष तक के लिए पक्की कर दी है. पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बसी 80 प्रतिशत आबादी की सुविधा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

पटना. शिक्षकों के तर्ज पर पंचायती राज विभाग ने कार्यपालक सहायकों की नौकरी 60 वर्ष तक के लिए पक्की कर दी है. पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बसी 80 प्रतिशत आबादी की सुविधा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

इसका लाभ राज्य में पंचायती राज विभाग के तहत हर पंचायत में नियुक्त करीब आठ हजार कार्यपालक सहायकों को मिलेगा. अब वे अपनी सेवाएं लगातार 60 वर्ष तक जारी रख सकते हैं. पंचायती राज मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ग्रामीण लोगों के विकास को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि बिहार की सभी पंचायतों में लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस काउंटर ) की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. हर काउंटर पर कार्यरत कार्यपालक सहायक को नियुक्त किया गया है. हर पंचायत में नियुक्त किये गये कार्यपालक सहायकों की संविदा बार-बार विस्तार करने की जरूरत पड़ती थी.

पंचायती राज विभाग ने अब निर्णय लिया है कि बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के तहत जिलाधिकारी द्वारा जिन-जिन पंचायतों में कार्यपालक सहायक की नियुक्ति की गयी है वहां पर उनकी सेवाओं का विस्तार 60 वर्ष की उम्र तक कर दिया गया है. कार्यपालक सहायकों को आकस्मिक अवकाश, अर्जित अवकाश, मातृत्व अवकाश, कृतित्व अवकाश एवं अवैतनिक अवकाश का भी प्रावधान किया गया है.

जिन लोगों की नियुक्ति बेल्ट्रॉन के माध्यम से की गयी है आगे उन पर भी विभाग द्वारा विचार किया जायेगा. वर्तमान में राज्य की 7600 ग्राम पंचायतों में कार्यपालक सहायक नियुक्त हैं. पंचायतों में कार्यरत कार्यपालक सहायकों को 17 हजार मानदेय मिलता है. सभी पंचायतों में एक-एक और कार्यपालक सहायक की नियुक्ति होने पर सालाना 170 करोड़ का सरकार खर्च वहन करती है.

Posted by Ashish Jha

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