बिहार के पांच जिलों में ठनके की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री ने जताया शोक
मॉनसून के इस मौसम में बिहार में वज्रपात से कई लोगों की जान जा रही है. राज्य में गुरुवार को भी ठनके चपेट में आने से 11 लोगों की जान चली गई. मुख्यमंत्री ने अविलंब मृतक के परिजनों को चार–चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश दिये हैं.
पूर्व बिहार में गुरुवार को ठनके की चपेट में आने से 11 लोगों की जान चली गयी. मृतकों में सहरसा में तीन, मधेपुरा में तीन, जमुई में तीन, अररिया व पूर्णिया एक-एक लोगों की मौत हो गयी. पूर्णिया के अमौर प्रखंड व अररिया के परवाहा प्रखंड के बौसीं थाना क्षेत्र की मोहनी पंचायत के वार्ड संख्या नौ में महिला मीणा हासदा की मौत हो गयी.
13 वर्षीय किशोरी की भी गई जान
इधर, सहरसा जिले के परमानपुर ओपी क्षेत्र की बरदाहा पंचायत के वार्ड-12 में मीना देवी, सौरबाजार थाने की चंदौर पूर्वी पंचायत स्थित कुचैहिया में बुजुर्ग राजेंद्र यादव व कहरा के बनगांव थाने की बरियाही पंचायत स्थित बरियाही बस्ती पुवारी टोला वार्ड-नौ में 13 वर्षीया किशोरी खुशबू कुमारी की जान चली गयी.
खेत में रोपनी कर रही महिला पर गिरा ठनका
वहीं, मधेपुरा के मुरलीगंज प्रखंड की रामपुर पंचायत व मुरलीगंज नगर पंचायत की सीमा पर खेत में रोपनी कर रही जयमाला देवी व गीता देवी और घैलाढ़ के परमानपुर ओपी क्षेत्र की बरदाहा पंचायत के वार्ड 12 में मीना देवी की मौत हो गयी. इधर, जमुई के चकाई थाना क्षेत्र अंतर्गत बरमोरिया गांव में मवेशी चरा रहे किशोर बरमोरिया गांव निवासी अमित मरांडी और जमुई सदर थाना क्षेत्र में दंपती केवल बिंद व उनकी पत्नी कुसुम देवी की मौत हो गयी.
मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वज्रपात से हुई मौतों पर पर गहरा शोक प्रकट किया है. मुख्यमंत्री ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि आपदा की इस घड़ी में वे प्रभावित परिवारों के साथ हैं. मुख्यमंत्री ने अविलंब मृतक के परिजनों को चार–चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश दिये हैं. साथ ही मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि सभी लोग खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें. खराब मौसम होने पर वज्रपात से बचाव के लिये आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय–समय पर जारी किये गये सुझावों का अनुपालन करें. खराब मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें.
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क्या होता है ठनका
आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है जिससे नेगटिव चार्ज उत्पन्न होता है. वहीं पृथ्वी में पहले से पॉजिटिव चार्ज मौजूद होता है. ऐसे में धरती और आकाश के दोनों नेगटिव एवं पॉजिटिव चार्ज एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं. जब इन दोनों चार्जों के बीच में कोई कंडक्टर आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है. लेकिन आसमान में कोई कंडक्टर नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है.
इंसान के शरीर पर ठनके का असर
वज्रपात का असर इंसान के शरीर पर बहुत अधिक होता है. बिजली के चपेट में आने से शरीर पर डीप बर्न हो जाता है जिससे टिशूज को नुकसान होता है. और साथ ही इसका असर इंसान के नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है. जिससे दिल का दौड़ा पड़ता है. वज्रपात के असर से शरीर में अपंगता का भी खतरा होता है.
कैसे करें बचाव
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वज्रपात से बचाव के लिए किसी ऊंचे क्षेत्र में न जाएं क्योंकि बिजली गिरने का सबसे अधिक खतरा वहीं होता है.
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अगर किसी खुले स्थान में हो तो वहां से किसी पक्के मकान में तुरंत चले जाएं और खिड़की एवं दरवाजों से दूर रहें
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घर में पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि बिजली के उपकरणों से दूर रहें और उन्हें बंद कर दें
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बिजली के पोल और टेलिविज़न या मोबाईल टावर से दूर रहें
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बिजली की चमक या बादलों के गरजने की आवाज सुनकर किसी पेड़ के नीचे नहीं जाएं
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एक जगह पर समूह में खड़े न हों, कम से कम 15 फीट दूरी बनाए