पटना. बिहार में वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 16.13% की वृद्धि दर्ज की गयी, जबकि इस दौरान दुर्घटनाओं की संख्या में 12.9% बढ़ोतरी हुई है. लेकिन सड़क हादसों में घायल लोगों को मदद करने के लिए लोग अधिक संख्या में नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि पटना जिले में पिछले दो वर्षों में सिर्फ 12 लोगों को गुड सेमेरिटन योजना के तहत सम्मानित किया जा सका है. उन्हें पांच हजार रुपये, शॉल और प्रशस्ति पत्र दिया गया.
अब 10 हजार हो गयी है राशि
सड़क हादसा होने के बाद अगर एक घंटे के अंदर में घायल व्यक्ति को सही इलाज मिल जाये, तो उसकी जान बचने की उम्मीद बहुत बढ़ जाती है. इसीलिए हादसे के बाद के पहले एक घंटे को गोल्डन आवर कहा जाता है. सड़क हादसों में घायलों की तत्काल मदद के लिए आम लोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने अक्तूबर, 2021 में गुड सेमेरिटन योजना शुरू की थी. अप्रैल, 2023 से राज्य सरकार ने गुड सेमेरिटन के तहत दी जा रही राशि को बढ़ा कर 10 हजार रुपये कर दी है.
ऐसे गुड सेमेरिटन का किया जाता है चयन
डीटीओ श्रीप्रकाश ने कहा कि मदद करने वाले व्यक्ति की जानकारी डाॅक्टर की ओर से स्थानीय पुलिस को दी जाती है. पुलिस गुड सेमेरिटन का नाम-पता, घटना का विवरण, मोबाइल नंबर आदि की जानकारी निर्धारित प्रारूप में एकत्रित करती है. इसके बाद डीएम की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में गठित जिला अप्रेजल कमेटी गुड सेमेरिटन के लिए आये प्रस्तावों पर विचार कर अनुमोदित करती है. इसके बाद प्रदेश स्तर से कार्यक्रम आयोजित कर प्रशस्ति पत्र व नकद प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया जाता है.
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सबसे ज्यादा 52% मौतों का कारण खतरनाक या लापरवाही से ड्राइविंग
राज्य परिवहन विभाग की सड़क दुर्घटना और मृत्यु पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह वर्षों में राज्य में सबसे ज्यादा 52% मौतें खतरनाक या लापरवाही से ड्राइविंग/ओवरटेकिंग से हुई है. इसके अलावा 34% ओवर-स्पीडिंग और गलत साइड ड्राइविंग से हुई है. वहीं 3% ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल और अन्य कारणों से हुई है. पैदल चलने वाले दुर्घटना के ज्यादा शिकार हुए हैं, जो कुल सड़क दुर्घटनाओं का 34% है. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 70% सड़क दुर्घटनाएं राजमार्गों पर हो रही हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
पटना के डीटीओ श्रीप्रकाश ने कहा कि पटना जिले में गुड सेमेरिटन की कम संख्या होने का कारण इसको लेकर लोगों में जागरूकता कि कमी है. इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है.