Education in Bihar: पटना के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में ड्रॉपआउट की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हो पा रही है. कक्षा पांचवीं से छठी और कक्षा आठवीं में नौवीं में जाने वाले बच्चों में बीच में पढ़ाई छोड़ने का प्रतिशत अधिक है. कक्षा पांचवीं से छठी में 10 प्रतिशत, तो आठवीं से नौवीं में 22 प्रतिशत बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ दे रहे हैं. हालांकि, जिले के स्कूलों में पिछले कुछ वर्षों में ड्रॉपआउट में सुधार हुआ है और सुविधाएं दी गयी हैं. वर्ष 2022-23 में कक्षा पांच में 1,27,292 व कक्षा छह में 1,14,563 बच्चों ने एडमिशन लिया. इसी तरह वर्ष 2022-23 में कक्षा आठवीं में 1,10,325 व कक्षा नौवीं में 86,054 बच्चों ने ही एडमिशन लिया. जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि बच्चों के ड्रॉपआउट की समस्या को दूर करने के लिए मुहिम चलायी जायेगी. इसके लिए जिले के सभी स्कूल के प्रधानाध्यापक को मुहिम चलाकर स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की सूची तैयार करने व उन्हें दोबारा से स्कूल में दाखिले के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.
अभिभावकों की भी होगी काउंसेलिंग
जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि कक्षा पांचवीं से छठी में 10% छोड़ते हैं पढ़ाई स्कूली बच्चों की ड्रॉपआउट की समस्या को दूर करने के लिए मुहिम चला कर सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक को जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गयाहै. जिस क्लास में ड्रॉपआउट प्रतिशत ज्यादाहोताहै, उन कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की भी काउंसेलिंग कर समस्या को दूर किया जायेगा.
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बच्चों की पढ़ाई के क्षेत्र में काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्थान एजुकेशन फॉर चिल्ड्रेन के अनुसार बिहार और पटना में पढ़ाई छोड़ने वाले ज्यादातर बच्चे पारिवारिक कारणों से पढ़ाई छोड़ रहे हैं. इसके बाद वो खेती या किसी अन्य असंगठित क्षेत्र में रोजगार की तलाश में निकल जाते हैं. पढ़ाई छोड़ने वालों में बड़ी संख्या लड़कियों की भी है.