पटना. विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में अवस्थित मठ व मंदिरों से संबंधित 24180 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है. राज्य के प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों द्वारा इसकी सूचना दी गयी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मठ व मंदिरों से संबंधित भूमि की पैमाइस कराकर इसे अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर निदेशित किया गया है. वह विधानसभा में संजय सरावगी व अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब दे रहे थे.
सदस्यों ने पूछा था कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि देश के मठ व मंदिरों की संपत्तियों को किसी सेवादार को बेचने का अधिकार नहीं है. सेवादार हकदार नहीं है. वह राजस्व विभाग के रिमार्क कॉलम में ही रह सकता है.
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के तहत पूरे राज्य में मठ मंदिरों के नाम पर निबंधित व अनिबंधित 30 हजार एकड़ जमीन है. इसमें दरभंगा प्रमंडल में 5533 एकड़, मुंगेर प्रमंडल में 3373 एकड़ और तिरहुत प्रमंडल में 5800 एकड़ भूमि है जिसमें से अधिकांश भूमि स्थानीय लोगों के अवैध कब्जे में हैं.
जवाब में विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि मठ मंदिरों की अतिक्रमित भूमि को लेकर दो चरणों में बैठकें की गयी है. जिलावार बैठक भी की गयी है. अभी तक धार्मिक न्याय से संबंधित सभी भूमि की पैमाइश अंतिम रूप से नहीं हो सकी है.
संबंधित जिला पदाधिकारियों ने जिला स्तर पर अपर समाहर्ता , राजस्व के नोड़ल पदाधिकारी न्यास की संपत्तियों का सर्वेक्षण एवं संवर्धन के लिए नियुक्त किया गया है. धार्मिक न्यास की संपत्ति को अवैध कब्जा से मुक्त कराने के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया गया है जिससे अतिक्रमण संबंधी वाद को निश्चित किया जा सके.
अधिनियम की धारा 44 के तहत यह प्रावधान है कि किसी भी न्यास का न्यासधारी, पुजारी, सेवायत, महंत या प्रबंधक न्यास संपत्ति को तीन वर्षों से अधिक अवधि के लिए पट्टे पर नहीं दे सकता. किसी न्यासधारी को न्यास संपत्ति को बेचना या बंधक रखना अवैध है. जब तक इस संबंध में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद से कोई पूर्वानुमति प्राप्त न हो. विधि मंत्री ने सुझाव दिया कि इस मामले पर और अधिक स्पष्ट जवाब के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को निदेशित किया जा सकता है.
अधिनियम की धारा 44 के तहत यह प्रावधान है कि किसी भी न्यास का न्यासधारी, पुजारी, सेवायत, महंत या प्रबंधक न्यास संपत्ति को तीन वर्षों से अधिक अवधि के लिए पट्टे पर नहीं दे सकता. किसी न्यासधारी को न्यास संपत्ति को बेचना या बंधक रखना अवैध है.
जब तक इस संबंध में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद से कोई पूर्वानुमति प्राप्त न हो. विधि मंत्री ने सुझाव दिया कि इस मामले पर और अधिक स्पष्ट जवाब के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को निदेशित किया जा सकता है.