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बिहार ने झारखंड से फिर मांगा पेंशन मद का बकाया, 847 करोड़ के लिए लिखा गया महालेखाकार को पत्र

बिहार ने एक बार फिर झारखंड को पत्र लिखकर पेंशन मद की बकाया 847 करोड़ राशि की मांग की है. वित्त विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दोनों राज्यों के महालेखाकर और झारखंड सरकार को पत्र लिखकर मामले की सुलझाने के लिये आग्रह किया है.

कैलाशपति मिश्र, पटना. बिहार और झारखंड के बीच पिछले 22 सालों से चल रहा पेंशन विवाद आज भी जारी है. पेंशन की राशि को लेकर दोनों राज्यों के अपने-अपने दावे हैं. बिहार ने एक बार फिर झारखंड को पत्र लिखकर पेंशन मद की बकाया 847 करोड़ राशि की मांग की है. वित्त विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दोनों राज्यों के महालेखाकर और झारखंड सरकार को पत्र लिखकर मामले की सुलझाने के लिये आग्रह किया है. हालांकि सदा की भांति झारखंड का दावा है कि इस मद में अधिक राशि दी जा चुकी हैं.

पेंशन की राशि को लेकर तय हुआ था एक फॉर्मूला

उल्लेखनीय है कि 2000 को अलग राज्य बनने के बाद दोनों राज्यों में रह रहे सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन की राशि को लेकर भी एक फॉर्मूला तय हुआ था. जिसके तहत झारखंड को इससे पहले रिटायर हुए पेंशनरों के पेंशन दायित्व मद में बिहार को एक तिहाई राशि का भुगतान करना था.झारखंड लगातार भुगतान भी करता आ रहा था,लेकिन वर्ष 2017-18 से 2019-20 से भुगतान रोक दिया है.

बिहार ने बिहार-झारखंड एजी से पेंशन संबंधी एकाउंट मिलान के लिये लिखा पत्र

वित्त विभाग ने दोनों राज्यों के महालेखाकार (एजी) को पत्र लिखकर बिहार-झारखंड बंटवार के बाद से पेंशन मद में कितनी राशि का भुगतान किया गया है, उसका मिलान कर निष्कर्ष निकालने का आग्रह किया है.ताकि पेंशन मद में कितनी राशि मिली है और कितनी बकाया है. दोनों राज्य के बीच मध्यस्था करने के लिये गृहमंत्रालय से भी आग्रह किया गया है.

क्या है बिहार-झारखंड के बीच पेंशन को लेकर विवाद

वर्ष 2000 में बिहार से झारखंड को अलग करके एक नये राज्य का गठन हुआ था. जिसके तहत दोनों राज्यों के बीच पेंशन दायित्व का बंटवारा कर्मचारियों के अनुपात में करने का प्रावधान था.बिहार,झारखंड से इसी आधार पर पेंशन दायित्व का 33% मांग रहा है, जबकि अब झारखंड पेंशन मद में राशि देने से मना कर रहा है. झारखंड जनसंख्या को आधार मानकर पेंशन दायित्व मद में मात्र 25% भुगतान पर अड़ा है. झारखंड का कहना है कि छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में पेंशन दायित्व के बंटवारे का आधार जनसंख्या है.इसलिये बिहार-झारखंड के पेंशन बंटवारे के दायित्व का आधार जनसंख्या होना चाहिये.

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में बिहार सरकार के वित्त विभाग में प्रधान सचिव अरविंद चौधरी कहते हैं कि बिहार सरकार ने झारखंड से पेंशन विवाद को सुलझाने के लिये केंद्रीय गृहमंत्रालय, बिहार-झारखंड महालेखाकर और झारखंड का पत्र लिखा है. बिहार ने झारखंड से पेंंशन मद की बकाया राशि की मांग की है. दोनों राज्यों के महालेखाकर से भी खाता मिलान कर निष्कर्ष निकाने का आग्रह किया गया है.

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