भारत के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 19 बिहार के, बेगूसराय, पटना व छपरा टॉप 10 में, सासाराम की हवा सबसे साफ
बेगूसराय, छपरा और पटना देश के सर्वाधिक 10 प्रदूषित शहरों में हैं. प्रदूषण का स्तर बेगूसराय में 265, छपरा में 212 और पटना में 212 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा. राज्य के अन्य 16 शहरों की हालत भी खराब है.
पटना. देश के सर्वाधिक 50 प्रदूषित शहरों में बिहार के 19 शहर शामिल हैं. इनमें बेगूसराय, छपरा और पटना देश के सर्वाधिक 10 प्रदूषित शहरों में हैं. प्रदूषण का स्तर बेगूसराय में 265, छपरा में 212 और पटना में 212 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा. राज्य के अन्य 16 शहरों की हालत भी खराब है. इस बात का खुलासा नयी दिल्ली की संस्था सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरइए) ने किया है.
प्रदूषण के मामले में देश में दिल्ली शीर्ष स्थान पर
उसने बिहार में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों और नतीजों पर गहन अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार की है. सीआरइए के जनवरी 2024 वायु गुणवत्ता स्नैपशॉट के अनुसार, प्रदूषण के मामले में देश में दिल्ली शीर्ष स्थान पर है, जबकि भागलपुर और सहरसा दूसरे और तीसरे नंबर पर थे.
भागलपुर सर्वाधिक 28 बार शामिल
स्नैपशॉट में उल्लेख किया गया है कि बिहार के कुल 11 शहर जनवरी, 2024 में देश के दैनिक शीर्ष-10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में कम-से-कम एक बार शामिल हुए. भागलपुर सर्वाधिक 28 बार, जबकि सहरसा (21 बार), छपरा (13 बार), राजगीर (आठ बार), अररिया (सात बार), आरा (छह बार), पटना (चार बार), किशनगंज (एक बार), पूर्णिया (एक बार), समस्तीपुर (एक बार), और मुजफ्फरपुर (एक बार) शामिल हुए.
सासाराम सबसे स्वच्छ वायु वाला शहर
वर्ष 2023 में इन सभी 23 शहरों में से 16 शहर ऐसे थे, जहां लगभग 90 प्रतिशत दिनों की वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में खराब थी, जबकि इनमें से 11 शहरों की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष में 70 प्रतिशत दिन राष्ट्रीय मानकों की तुलना में खराब रही है. केवल सासाराम और मंगुरहा की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष के दौरान 50 प्रतिशत दिन राष्ट्रीय मानकों के मुकाबले ठीक रही.
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से है बाहर
पिछले एक साल में कुल 346 दिन इन सभी 23 शहरों में वायु गुणवत्ता का हाल, मानक से खराब रहा है. इन 23 में से 20 शहर अब भी केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से बाहर है. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की घोषणा के पांच वर्ष पूर्ण होने पर सीआरईए द्वारा जारी इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में यह पाया गया कि सरकार द्वारा घोषित इस कार्यक्रम के लक्ष्यों को हासिल करने में कमी रहने पर किसी भी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं होने से काफी लापरवाहियां हुई हैं. इसी कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में खराब है वायु गुणवत्ता
वर्ष 2023 में इन सभी 23 शहरों में से 16 शहर ऐसे थे, जहां लगभग 90 प्रतिशत दिनों की वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थय संगठन के मानकों की तुलना में खराब थी. इनमें से 11 शहरों की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष में सत्तर प्रतिशत दिन राष्ट्रीय मानकों की तुलना में खराब रही हैं. केवल सासाराम और मंगुराहा (वन्य क्षेत्र- वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) की वायु गुणवत्ता पिछले एक वर्ष के दौरान 50 प्रतिशत दिनों राष्ट्रीय मानकों के मुकाबले ठीक रहीं.