बिहार विधानसभा के बजट सत्र का आज 15 वां दिन है. विधानसभा की कार्रवाही शुक्रवार की सुबह 11 बजे से प्रश्नकाल के साथ शुरू होगी. आज सदन के दूसरे सत्र में जल संसाधन विभाग के बजट पर चर्चा होगी. पिछले 14 दिनों से जारी सदन की कार्रवाही जबरदस्त हंगामेदार रही है. आज भी विपक्ष में बैठी भाजपा सरकार को राज्य में अपराध पर घेरेगी. इसके साथ ही, सरकार के द्वारा 24 प्रतिशत बिजली का बिल बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर भी हमला करेगी. गौरतलब है कि राज्य में बिजली बिल के प्रस्तावित दर एक अप्रैल से लागू होने वाले हैं. हालांकि, मामले में जनसुनवाई के बाद बिहार विद्युत नियामक आयोग का फैसल आना अभी बाकि है.
विनियामक आयोग की बिजली दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अब पूरी आस राज्य सरकार पर टिक गयी है. वर्तमान में राज्य सरकार सालाना 7801 करोड़ रुपये की सब्सिडी बिजली कंपनियों को दे रही है, जिससे महंगी बिजली का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ रहा. इस सब्सिडी के चलते आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ पर विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं टैरिफ पर छूट दी जाती है. आयोग की घोषणा के बाद ऊर्जाविभाग अपने स्तर से विभिन्न श्रेणियों में सब्सिडी बढ़ाये जाने का प्रस्तावबना कर राज्य सरकार को भेज रहा है. सरकार के निर्णय से तय होगा कि आयोग की 24 फीसदी बिजली दर बढ़ोतरी का कितना प्रभावबिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
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भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने राज्य में बिजली दरों में 24.01 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी को घोर जनविरोधी कदम बताते हुए 28 मार्च को राज ्य व ्या प ी विरोध दिवस की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार को इस प्रकार के जनविरोधी कदम नहीं उठाना चाहिए. उन्होंने प्रीपेड मीटर से पहले ही लोग परेशान हैं. गांव के गांव बिजली काट दी जा रही है. फर्जी बिजली बिल का हमला अलग है. ऐसी स्थिति में बिजली की दर को और बढ़ाना जनता पर और ज्यादा बोझ को लादना है, जो हर लिहाज से अनुचित है. हमारी तो मांग रही है कि सरकार बकाया बिजली बिल को माफ करे और कृषि कार्य के लिए मुफ्त में बिजली उपलब्ध कराए. बिहार सरकार ने ठीक उलटा काम किया है.