Bihar Assembly News: बिहार विधानसभा में बुधवार को महबूब आलम (Mahboob Alam) के ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब के अंत में बिहार सरकार (Nitish kumar GovT) के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (Madan Sahani) की जुबान फिसली और विपक्ष का निशाना बन गये. उनके बयान के बाद इतना भारी हंगामा हुआ कि भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही नहीं हो पायी.
मदन सहनी के बयान पर राजद, कांग्रेस, सीपीएम और भाकपा- माले के विधायकों ने सरकार के खिलाफ सदन के अंदर और बाहर आंदोलन की घोषणा की है. चारों दलों के नेताओं ने बुधवार को कहा कि अब सरकार को तय करना है कि वह सदन चलने देना चाहती है या समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी को बचाना चाहती है. विधायकों ने कहा, गरीब जनता से जुड़ा सवाल पूछने पर विधायक – सदन का अपमान करने वाले मंत्री को बर्खास्त करना होगा. सरकार यदि ऐसा नहीं करती है, तो सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जायेगी.
विधानसभा में महबूब आलम सहित अन्य सदस्य ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से राज्य में वृद्धा पेंशन पानेवाले हजारों लोगों को पेंशन से वंचित होने की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया. प्रश्नकर्ता का कहना था कि पहले प्रखंड कार्यालय या ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी या मुखिया माध्यम से हाथों-हाथ वृद्धा पेंशन की राशि का भुगतान होता था. जब से लाभुकों को बैंक खाते में भुगतान किया जाने लगा तब से पेंशन पाने वाले लाभुक वृद्धों या वृद्धाओं के बैंक खाते में राशि नहीं जा रही है. ऐसे लोग पेंशन पाने से वंचित हो रहे हैं.
इसके जवाब में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने बताया कि डीबीटी के माध्यम से राज्य के 90 लाख लोगों को पेंशन दी जाती है. तीन लाख वैसे लोग हैं जिनकी किसी कारणवश पेंशन रुकी है, उनको पेंशन देने की कार्रवाई की जा रही है. अंत में उन्होंने कहा कि वह यह बात सदन में कहना नहीं चाहते हैं, पर सच तो यह है कि प्रश्न करने वाले दलों का काम ही हाथों-हाथ की पेंशन के कारण चलता है.
मंत्री का जवाब सुनते ही पहले माले के सदस्य वेल में आ गये और विरोध करना शुरू कर दिया. विपक्षी सदस्य समाज कल्याण मंत्री से लगातार माफी मांगने की जिद पर अड़े रहे और इसी बात को लेकर शुरू से अंत तक हंगामा करते रहे. अध्यक्ष के कक्ष में दो बार हुई वार्ता और सदन में बार-बार समझाने का भी जब विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा, तो दूसरी बार में कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गयी. पहली बार 40 मिनट और दूसरी बार 20 मिनट हंगामे के बीच कार्यवाही चली. इस दौरान भी माफी मांगने के मामले पर ही बहस और हंगामा होता रहा.
Posted By: Utpal kant