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बिहार विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफा देने से किया इनकार, कहा-दांव पर सब कुछ लगा, रूक नहीं सकते, टूट नहीं सकते

बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें दिया गया नोटिस प्रावधान से खिलाफ है. सदन की बात सदन में करेंगे. विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि चुकि प्रस्ताव संविधान के खिलाफ था तो मेरा उसे रद्द करना स्वभाविक है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2022 5:07 PM

बिहार विधानसभा में असमंजस की स्थिति बन गयी है. विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि वो स्पीकर के पद से इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि सदन की बात सदन में करेंगे. मुझे मिला नोटिस नियमों और प्रावधान के खिलाफ है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है. विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं था. लेकिन इस क्रम में विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया है. उस पर चुप रहना अनुचित है. अध्यक्ष संसदीय नियमों तथा परंपराओं का संरक्षक है. यह केवल पद नहीं बल्कि एक न्यास का अंगरक्षक है.

व्यक्तिगत सम्मान के ऊपर लोकतंत्र की गरिमा

विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के दायित्व से बंधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना है. ये विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्ताधारी सरकार के द्वारा मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. मगर अविश्वास प्रस्ताव का जो नोटिस सभा सचिवालय को दिया गया है, उसमें संवैधानिक नियमों और प्रावधानों की अनदेखी की गयी है. ऐसे में अध्यक्ष होने के नाते मेरा उस नोटिस को अस्वीकृत करना स्वाभाविक जिम्मेदारी थी.

पहले विधानसभा अध्यक्ष होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव से हटाया जाएगा

विजय कुमार सिन्हा बिहार के पहले ऐसे विधानसभा अध्यक्ष होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया जाएगा. हालांकि माना जा रहा था कि बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने अपनी बात रखने के लिए एक पत्र जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि दांव पर सब कुछ लगा है, रूक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते. हालांकि सदन में उनके लिए टीक पाना संभव नहीं दिख रहा है. अध्यक्ष के समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं. जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं.

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