बिहार ने बनाया भारतीय लोकतंत्र को मजबूत, शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने किया यहां बने कानूनों का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहारवासियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार का यह स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वह प्यार कई गुना करके लौटाता है. विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष समापन समारोह के मौके पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों में बिहार के योगदान की चर्चा की.

By Prabhat Khabar News Desk | July 13, 2022 7:30 AM

पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहारवासियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार का यह स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वह प्यार कई गुना करके लौटाता है. विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष समापन समारोह के मौके पर मंगलवार को देवघर से पटना पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों में बिहार के योगदान की चर्चा की. विधानसभा परिसर में अपने 27 मिनट के संबोधन में उन्होंने कहा कि बिहार जितना समृद्ध होगा, भारत की लोकतांत्रिक शक्ति उतनी ही मजबूत होगी.

श्री बाबू से नीतीश कुमार तक की बात की

विधानसभा की इस इमारत ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया है. यह इमारत उस चेतना से जुड़ी हुई है, जिसने गुलामी के दौर में भी लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षय नहीं होने दिया. प्रधानमंत्री ने अंग्रेजों के खिलाफ श्री बाबू द्वारा शासन में स्वतंत्रता के दावे को याद करते हुए कहा कि बिहार हमेशा लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा. बिहार ने डाॅ राजेंद्र प्रसाद के रूप में स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रपति दिया. लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेता इसी धरती से आये थे. जब देश में संविधान को कुचलने की कोशिश की गयी तब भी बिहार सामने आया और इसके विरोध में बिगुल फूंकी.

शताब्दी स्मृति स्तंभ का उद्घाटन किया

इससे पहले प्रधानमंत्री ने विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का उद्घाटन किया और विधानसभा संग्रहालय व गेस्ट हाउस की आधारशिला रखी. विधानसभा परिसर में कल्पतरु का पौधारोपण करने वाले यादगार लम्हे को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे कल्पतरू के विषय में हमारी मान्यताएं है कि यह आशा और आकांक्षाओं को पूरा करने वाला वृक्ष है, लोकतंत्र में यही भूमिका संसदीय संस्थाओं की होती है.

बिहार को लोकतंत्र की जननी बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि बिहार लोकतंत्र के खिलाफ कुछ भी स्वीकार नहीं करता. उन्होंने कहा कि मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है. बिहार विधानसभा के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां विधानसभा भवन में एक के बाद एक बड़े और साहसिक फैसले लिये गये हैं. आजादी से पहले राज्यपाल सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा ने इस विधानसभा से स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने और स्वदेशी चरखा अपनाने की अपील की थी.

जमींदारी उन्मूलन कानून से पंचायती राज कानून तक की चर्चा की

आजादी के बाद इस विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसा अधिनियम पारित कर बिहार को पहला राज्य बनाया, जहां महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सभा इस बात का उदाहरण है कि लोकतंत्र में सामाजिक जीवन में समान भागीदारी और समान अधिकारों का पालन कैसे किया जाता है. प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन जड़ों को रेखांकित किया और कहा दशकों से हमें यह बताने का प्रयास किया गया है कि भारत को विदेशी शासन और विदेशी सोच के कारण लोकतंत्र मिला है.

लिच्छवी और वज्जि संघ को याद किया

जब कोई व्यक्ति ऐसा कहता है तो वह बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत को छिपाने की कोशिश करता है. जब दुनिया के बड़े हिस्से सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम उठा रहे थे, वैशाली में एक परिष्कृत लोकतंत्र चल रहा था. जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में लोकतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होने लगी थी, लिच्छवी और वज्जि संघ जैसे गणराज्य अपने चरम पर थे. भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितनी कि यह राष्ट्र और संस्कृति. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लोकतंत्र को समानता और समानता का साधन मानता है. भारत सह-अस्तित्व और सद्भाव के विचार में विश्वास करता है. हम सच्चाई में विश्वास करते हैं, हम सहयोग में विश्वास करते हैं, हम सद्भाव में विश्वास करते हैं और हम समाज की एकजुट शक्ति में विश्वास करते हैं.

विश्व में लोकतंत्र की जननी है भारत

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि विश्व में लोकतंत्र की जननी भारत है. बिहार की गौरवशाली विरासत और पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज इसका जीता जागता सबूत हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार के इस वैभव को कोई मिटा या छिपा नहीं सकता. प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव और बिहार विधानसभा के सौ साल का यह ऐतिहासिक अवसर भी हम सभी जन प्रतिनिधि के लिए आत्मनिरीक्षण और आत्म-विश्लेषण का संदेश लेकर आया है. हम अपने लोकतंत्र को जितना मजबूत करेंगे, हमें अपनी आजादी और अपने अधिकारों के लिए उतनी ही ताकत मिलेगी. प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी की बदलती जरूरतों और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में नये भारत के संकल्पों के संदर्भ में कहा, देश के सांसदों के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि लोकतंत्र के सामने आने वाली चुनौती को दल-राजनीति के भेद से ऊपर उठ कर देश और उसके हित के लिए हमारी आवाज एक होनी चाहिए.

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