बिहार के आयुष डॉक्टर एलोपैथ की दवा लिखने को मजबूर, अस्पतालों में आठ साल से नहीं हुई दवा खरीद

वैकल्पिक चिकित्सा के माध्यम से इलाज करानेवाले मरीजों के लिए राज्य में आयुष चिकित्सक विभिन्न स्तर के अस्पतालों, औषधालय व डिस्पेंसरियां काम कर रहे हैं. यहां पर आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथ के चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 8, 2022 8:54 AM

शशिभूषण कुंवर पटना. वैकल्पिक चिकित्सा के माध्यम से इलाज करानेवाले मरीजों के लिए राज्य में आयुष चिकित्सक विभिन्न स्तर के अस्पतालों, औषधालय व डिस्पेंसरियां काम कर रहे हैं. यहां पर आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथ के चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी है. फिलहाल स्थिति यह है कि दवा के अभाव में आयुष डॉक्टरों को एलोपैथ की कुछ दवाएं लिखनी पड़ रही हैं.

आयुष दवाओं का सालाना बजट 100 करोड़

राज्य में आयुष दवाओं का सालाना बजट 100 करोड़ है. हालांकि, आठ साल से एक मुश्त दवाओं की खरीद नहीं हो पायी है. अंतिम खरीद 2013- 14 में 20 करोड़ की दवाओं की की गयी थी. उसके बाद से अभी तक इसकी खरीद नहीं हुई है.

केंद्र सरकार को नहीं भेजा जा सका प्रस्ताव

राज्य में दवाओं के खरीद नहीं होने की वजह से आयुष दवाओं का कोई प्रस्ताव ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा जाता है. ऐसे में राज्य को आयुष दवाओं के मद में हर साल 100 करोड़ का नुकसान हो रहा है. दवाओं की खरीद होने पर प्रति डिस्पेंसरी 50 लाख की दवाएं उपलब्ध हो जातीं.

38 जिला अस्पतालों में आयुष चिकित्सक तैनात

राज्य के 38 जिला अस्पतालों में आयुष चिकित्सक तैनात हैं. इसके अलावा 25 अनुमंडलीय अस्पतालों में दो-दो आयुष चिकित्सकों के पद हैं. राज्य के करीब 1300 एपीएचसी में आयुष चिकित्सकों की तैनाती की गयी है. 26 जिलों में संयुक्त औषधालय हैं, जहां पर एक आयुर्वेद, एक होमियोपैथ और एक यूनानी चिकित्सक का पद है.

एसोसिएशन बोला

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा मधुरेंदु पांडेय ने भी स्वीकार किया कि आयुष चिकित्सकों को मजबूरी में एलोपैथ की दवाओं का परामर्श देना पड़ता है. इमरजेंसी ड्यूटी या रात्रिकालीन ड्यूटी में आने वाले मरीजों को उन्हीं दवाओं की सलाह देनी पड़ती हैं, जो अस्पताल में उपलब्ध रहती हैं.

अंतिम चरण में दवाओं की खरीद प्रक्रिया

मंत्री स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि राज्य आयुष समिति द्वारा आयुष दवाओं की खरीद का काम अंतिम चरण में है. अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों द्वारा आयुष दवाओं का परामर्शदिया जाता है. आयुष की कुछ दवाएं रहने पर मरीजों को मुफ्त दी जाती है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आयुष दवा मद में दी गयी राशि में से अभी तक 40 करोड़ खर्च नहीं हुआ है. इस राशि के खर्च होने के बाद राज्य सरकार केंद्र से आयुष दवाओं के लिए राशि की मांग करेगी.

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