घड़ियाल का दूसरा सफल प्रजनन स्थल बना बिहार, तीन वर्षों के दौरान गंडक नदी में दो गुनी हो चुकी है संख्या

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पास गंडक नदी में घड़ियालों के सरंक्षण के लिए नौ वर्षों में किए जा रहे प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम आये हैं. अतिसंकट ग्रस्त प्राणियों में आने वाले घड़ियालों की संख्या इतनी हो गयी है कि बिहार की गंडक नदी इनकी संख्या के मामले में अब दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2023 5:08 PM
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पटना. बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पास गंडक नदी में घड़ियालों के सरंक्षण के लिए पिछले नौ वर्षों में बिहार सरकार के वन विभाग और पर्यावरणविदों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम आये हैं. अतिसंकट ग्रस्त प्राणियों में आने वाले घड़ियालों की संख्या इतनी हो गयी है कि बिहार की गंडक नदी इनकी संख्या के मामले में अब दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गयी है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) की ओर से किये गये सर्वे में यह तथ्य सामने आया है. यह सर्वे मुख्य रूप से सोनपुर से वाल्मीकि नगर तक करीब 325 किमी लंबी गंडक नदी में 14 दिनों तक किये गये हैं. ऐसे में अब गंडक नदी में नहाने से पहले घड़ियाल की आवाजाही पर नजर जरुर रखें.

2017 में यहां करीब 119 घड़ियाल देखे गये थे

रिपोर्ट के मुताबिक गंडक में 251 घड़ियाल देखे गये हैं. गंडक में घड़ियालों की संख्या पिछले तीन वर्षों में दोगुनी से ज्यादा हो गयी है. वर्ष 2017 में यहां करीब 119 घड़ियाल देखे गये थे. विश्व स्तर पर हुए इस सर्वे में तीनों देशों में घड़ियालों के अंडे देने की 14 जगहों को देखा गया, जिनमें गंडक नदी में पांच जगह भी शामिल थे. बिहार में सिर्फ गंडक नदी में ही घड़ियाल पाया जाता है, क्योंकि इसका पानी साफ है. यानी प्रदूषण का स्तर बहुत कम है. घड़ियालों के अंडे देने के बाद 60 % सुरक्षित रहते हैं. हालांकि नदी में पानी का स्तर बढ़ने से कटाव के कारण 40% खराब हो जाते हैं. मार्च-अप्रैल में घड़ियाल अंडे देते हैं.

इतने घड़ियाल शायद ही कभी देखे जाते रहे 

डब्ल्यूटीआई के उप निदेशक डॉ. समीर कुमार सिन्हा ने मीडिया को बताया कि घड़ियाल तेज धार, साफ पानी और मछलियों की उपलब्धता वाली नदियों में पनपते हैं. मानवीय खतरों के कारण घड़ियाल विलुप्ति के कगार पर हैं. नदी-तंत्र में संतुलन बनाये रखने में ये महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष 21 फरवरी से 28 फरवरी के दौरान गंडक बैराज से रीवा घाट के बीच गंडक नदी के 284 किलोमीटर खंड में घड़ियाल जनसंख्या निगरानी सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें सभी आकार के 217 घड़ियाल देखे गये। हाजीपुर (बिहार के वैशाली जिला मुख्यालय) में गंगा नदी के संगम तक रीवा घाट के नीचे की ओर घड़ियाल शायद ही कभी देखे जाते हैं.

दूसरा सफल प्रजनन स्थल बना बिहार

पीके गुप्ता ने कहा कि बिहार घड़ियाल के लिए दूसरा सफल प्रजनन स्थल बन गया है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान कुल 37 वयस्क घड़ियाल (पांच नर सहित), 50 उप वयस्क, 49 किशोर और 81 शिशु घड़ियाल देखे गये. हम घड़ियालों की संख्या 2014 के 30 से बढ़कर इस साल फरवरी में 217 होने पर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि इस सफलता के बाद गंडक नदी के इस पूरे हिस्से को घड़ियालों के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीआई ने 30 नवजात घड़ियालों की निगरानी की थी जिन्हें पटना चिड़ियाघर में पाला गया था और 2014 में गंडक में वापस छोड़ दिया गया था.

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