बिहार में अब किसी भी जमाबंदी में होने वाली कोई भी परिवर्तन या छेड़छाड़ की सूचना एसएमएम के माध्यम से लोगों को मोबाइल फोन पर मिल जायेगी. जिस प्रकार बैंक खाते से निकलने वाली किसी भी राशि की सूचना एसएमएस के जरिए मिल जा रही, उसी प्रकार जमाबंदी में कोई भी परिवर्तन या छेड़छाड़ की सूचना देने की तैयारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कर रहा है. इसके लिए आपको जमीन की जमाबंदी को आधार एवं मोबाइल नंबर के साथ लिंक कराना होगा.
अपर समाहर्ताओं की राज्य स्तरीय बैठक में आधार सीडिंग के कार्य की हुई समीक्षा
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा रैयतों की जमाबंदी को आधार एवं मोबाइल नंबर के साथ जोड़ने का कार्य एक अभियान की तरह चलाया जा रहा है. इस संबंध में सोमवार को अपर समाहर्ताओं की राज्य स्तरीय बैठक हुई. जहां आधार सीडिंग के कार्य की समीक्षा की गयी. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने जमाबंदी को मोबाइल से जोड़े जाने के अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया.
30 सितंबर तक सभी जिलों में खतियान की स्कैनिंग का काम पूरा करने का लक्ष्य
बैठक में राजस्व अभिलेखों की स्कैनिंग और डिजिटाइजेशन के कार्य की भी समीक्षा की गयी. कुल 28 तरह के राजस्व अभिलेखों की स्कैनिंग और डिजिटाइजेशन का कार्य किया जा रहा है. इसमें सबसे पहले खतियान और जमाबंदी पंजी की स्कैनिंग और इंडेक्सिंग का काम चल रहा है. 180 अंचलों में जमाबंदी पंजी के डिजिटाइजेशन का कार्य किया जा रहा है. 30 सितंबर तक सभी जिलों में खतियान की स्कैनिंग का काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है. जबकि अगले तीन महीने में सभी अंचलों के पंजी-2 की स्कैनिंग पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है.
आठ जिलों ने नहीं दी है रिपोर्ट
बैठक में कुल आठ जिलों किशनगंज, गोपालगंज, जहानाबाद, बक्सर, समस्तीपुर, सारण, सीवान और पश्चिम चंपारण से रिपोर्ट नहीं मिले. जिन जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त हुए, उनसे स्पष्ट है कि कुल 17,794 खतियान के वॉल्यूम की स्कैनिंग की जानी है. इनमें अब तक 12171 वॉल्यूम की स्कैनिंग का काम पूरा हो चुका है. 3348 वॉल्यूम खतियान की त्रुटि जांच की जा रही है. इसी तरह कुल तीन लाख 93 हजार 332 वॉल्यूम पंजी-2 में से 92 हजार 466 वॉल्यूम को स्कैन किया गया है. उनमें से 48 हजार 879 वॉल्यूम पंजी-2 को चेक कर लिया गया है. जैसे-जैसे ये राजस्व दस्तावेज चेक होते जायेंगे, इन्हें आमलोगोें के लिए ऑनलाइन कर दिया जायेगा. इन दस्तावेजों को कोई भी रैयत ऑनलाइन देख सकता है. इसके डिजिटाइज्ड प्रति हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन देना होगा और मामूली शुल्क अदा करना होगा.
कई जिलों के दस्तावेज उनके पुराने जिले में
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि कई जिलों के दस्तावेज उनके पूर्व के जिलों में पड़े हुए हैं. जैसे सीतामढ़ी के मुजफ्फरपुर में या फिर रोहतास के आरा जिले में भू -अर्जन समेत कई अभिलेख पड़े हुए हैं. स्कैनिंग के दौरान इनका पता चलने पर इन्हें अपने जिले में भेज दिया जायेगा.
सीसीटीवी से होगी निगरानी
अपर मुख्य सचिव ने सभी अपर समाहर्ताओं को निर्देश दिया कि उन सभी अभिलेखागारों की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया जाये, जहां स्कैनिंग का काम चल रहा है. वहां काम करने वाले और आने-जाने वाले लोगों की पहचान के बाद ही इंट्री दी जाये. स्कैनिंग स्थल पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की जायेगी.
स्कैनिंग के दौरान दस्तावेज गायब होने की शिकायत
बैठक में कुछ जगहों पर स्कैनिंग के दौरान दस्तावेज गायब होने की शिकायत मिली. ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव ने दोषी कर्मियों की पहचान करके उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निदेश दिया. बैठक में सचिव जय सिंह, अपर सचिव सुशील कुमार, सभी संयुक्त सचिव और सभी जिलों के अपर समाहर्ताओं ने हिस्सा लिया.
जमाबंदी क्या है?
राजस्व विभाग द्वारा एक दस्तावेज बनाया जाता है जिसे जमाबंदी, या अधिकारों का रिकॉर्ड कहा जाता है. इस रिकॉर्ड में जमीन का मालिक कौन है, कितनी जमीन है, किस अनुपात में है, जमीन का अधिकार किसके पास है सहित जमीन से जाऊदी अन्य कई प्रकार की जानकारियां शामिल होती हैं. कड़ी जांच के बाद, राजस्व अधिकारी हर पांच साल में जमीन की जमाबंदी को अपडेट करते हैं और फिर राजस्व अधिकारी रिकॉर्ड को सत्यापित करते हैं.