पटना. बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर को प्राइम मिनिस्टर अवार्ड फॉर एक्सिलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सम्मान से सम्मानित किया जायेगा. दरअसल पिछले कुछ वर्षों में बिहार बोर्ड के सभी कार्यों में आइटी, सॉफ्टवेयर व टेक्नोलॉजी का व्यापक इस्तेमाल करते हुए पूरी परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और छात्र हितकारी बनाया गया. कई सुधारों के कारण ही बिहार बोर्ड ने लगातार चौथे वर्ष 2019 से 2022 तक देश में सबसे पहले मैट्रिक व इंटर का रिजल्ट जारी कर कीर्तिमान स्थापित किया. बिहार बोर्ड की व्यवस्था को कुछ राज्यों व कुछ देशों ने भी बोर्ड की परीक्षा प्रणाली में अपनाया है.
आनंद किशोर ने संपूर्ण परीक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण तकनीकी बदलाव किये हैं. स्टूडेंट्स के फोटो के साथ प्रत्येक स्टूडेंट्स के नाम, विषय, रोल कोड, रोल नंबर, परीक्षा की तिथि से हर विषय में बारकोड व लिथोकोड के साथ अलग-अलग कॉपी व अलग ओएमआर शीट छपवायी. अंकों की प्रविष्टि केंद्रों से सीधे कंप्यूटर के माध्यम से की गयी, जिससे रिजल्ट प्रोसेसिंग काफी त्वरित गति से किया गया. प्रश्नपत्रों का नया पैटर्न व मार्किंग स्कीम में सुधार बोर्ड को काफी आगे ले गया.
समिति ने 1983 से 2021 तक के मैट्रिक व इंटर के सारे रिकॉर्ड को डिजिटाइज किया है, जिससे छात्रों के 38 वर्षों के मैट्रिक एवं इंटर के डॉक्यूमेंट क्षेत्रीय कार्यालयों से ही रिकॉर्ड समय में प्राप्त हो जा रहे हैं.
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बोर्ड में बेहतर सुधारों के कारण ही सीबीएसइ, आइसीएसइ एवं अन्य परीक्षा बोर्ड के स्टूडेंट्स बिहार बोर्ड में एडमिशन ले रहे हैं. यह संख्या भी लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2018 में सीबीएसइ, आइसीएसइ व अन्य बोर्ड के 59,544, वर्ष 2019 में 85,997, वर्ष 2020 में 1,07,353 व वर्ष 2021 में 1,21,316 स्टूडेंट्स ने बिहार बोर्ड में एडमिशन लिया है.