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बिहार: बेतिया के नरकटियागंज में पुल धंसा, दर्जन भर गावों का आवागमन हुआ ठप, ग्रामीणों में आक्रोश

बिहार के बेतिया में एक पुल धंसने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. नरकटियागंज के दर्जन भर गांवों का आवागमन ठप रहा.

बिहार के पश्चिमी चंपारण में एक पुल के धंसने से ग्रामीणों की समस्या बढ़ गयी है. नरकटियागंज प्रखंड के डी के शिकारपुर पंचायत के शिकारपुर गांव में रखही, धोबहा टोला,मालदा मल्दी, फुलवरिया, सखुवनिया समेत दर्जनों गांवों को जोड़ने वाला पुल शनिवार को धंस गया . पुल धसने से तीन पहिया व चार पहिया वाहनों से आवागमन प्रभावित हो गया है.

ग्रामीणों में आक्रोश

पुल धसने की सूचना पर स्थानीय ग्रामीण मौके पर पहुंचे. इस दौरान मौके पर मौजूद शिकारपुर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष जितेंद्र राव ने आरोप लगाया कि पुल के बगल से मिट्टी को काटकर बेच दिया गया है. जिसके कारण रात को हुई बारिश की वजह से पुल धंस गया. वहीं शिकारपुर मालदा मल्दी समेत आस पास के गावो के लोगो मे पुल धसने को लेकर आक्रोश है. लोगो ने पुल धंसने की घटना को लेकर आक्रोश जताया है.

पुल के पास से मिट्टी काटने का आरोप

ग्रामीण रमेश साह, अनिल पटेल धुरण साह, राधा पासवान, अलीम मियां समेत दर्जन भर से अधिक लोगों ने पुल के बगल में मिट्टी काटने से पुल धंसने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने प्रशासन से अविलम्ब पुल निर्माण कराए जाने की भी मांग की है.

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वाल्मीकिनगर में कटाव से गहरायी समस्या

उधर, वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के चंपापुर-गोनौली पंचायत से होकर बहने वाली बरसाती नदी मनोर अपने आसपास के गोनौली, मलकौली व गोराड़ गांव के ग्रामीणों को अपने पानी के तेज प्रवाह से डरा रही है. बीते एक सप्ताह से हो रही रुक-रुक कर बारिश के कारण मनोर में पानी का बहाव तेज हो गया है. जिस कारण गोनौली, मलकौली व गोराड़ गांव के समीप मनोर नदी से सटे कृषि भूमि का कटाव तेजी से हो रहा है. जिस कारण ग्रामीण अपनी जीविका को आंख के सामने पानी में समाते देखकर भय जदा है.

नदी के रास्ते पैदल चलने को मजबूर ग्रामीण

बता दें कि वाल्मीकिनगर क्षेत्र में हल्की बारिश होने के बाद मनोर पहाड़ी नदी का जलस्तर और पानी का प्रवाह काफी तेज हो जाता है. गोनौली से मलकौली और गोराड़ समेत अन्य गांव जाने का इकलौता मार्ग मनोर नदी से होकर गुजरता है. जिस पर अब तक कोई पुल नहीं है. पानी नहीं रहने पर नदी के रास्ते पैदल, दोपहिया और चार पहिया वाहन से ग्रामीण आवाजाही करते हैं. किंतु पानी का प्रवाह बढ़ते ही बरसात के दिनों में लोगों का संपर्क अन्य गांव से टूट जाता है. आपात स्थिति में या किसी की तबीयत खराब होने पर बरसात के दिनों में नदी को पार करना खतरे से खाली नहीं है.

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