पटना. आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक बाल जीवन के आरंभिक वर्ष उनके स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है. जीरो से 18 वर्ष उम्र वाला समूह आबादी का असुरक्षित हिस्सा होता है. अनुमान के अनुसार 2021 में भारत की कुल आबादी में लगभग 33 प्रतिशत बच्चे रहे है.
बिहार में जीरो से 18 वर्ष की उम्र वाली इस आबादी का हिस्सा उससे भी अधिक 42 प्रतिशत है. देश के कुल बच्चों का 12 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है. आंकड़ों के अनुसार बिहार में 5.18 करोड़ बच्चे है. जिनमें से 4.66 करोड़ यानी 89.9 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है और 0.53 करोड़ यानी 10.1 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में है.
लैंगिक आधार पर देखे, तो बिहार में 2.45 करोड़ लड़कियां है और 2.73 करोड़ लड़के. बच्चों की आबादी विभिन्न आयु समूहों का हिस्सा प्रकार है. जीरो से छह वर्ष के 38.4 प्रतिशत, जीरो से 14 वर्ष के 83.8 प्रतिशत और सात से 14 वर्ष के 45.4 प्रतिशत के 78.9 प्रतिशत और सात से 14 वर्ष के 44.0 प्रतिशत है.
राज्य में बुजुर्ग और जीरो से 19 साल तक के युवाओं की आबादी में पटना से आगे गया जिला है. पटना में जहां जीरो से 19 साल तक के युवाओं की आबादी कुल जनसंख्या की 40.12 प्रतिशत है. वहीं गया जिले में इस उम्र की आबदी प्रतिशत 42.81 प्रतिशत है. इसी प्रकार साठ साल और इससे उपर वाले उम्र के लोगों के मामले में पटना में जिले की कुल आबादी की 7.69 प्रतिशत है. जबकि गया में यह 9.09 प्रतिशत है.
ठीक इसके उलट कार्यशील आबादी जो 20 से 59 उम्र वालों की है, उसमें पटना जिले में कुल आबादी 52.19 प्रतिशत है. जबकि गया में यह प्रतिशत जिले की कुल आबादी की 48.10 प्रतिशत है. जीरो से 19 साल की उम्र में पटना से अधिक गया के अलावा सारण-43.73 प्रतिशत, पश्चिम चंपारण-44.66 प्रतिशत, दरभंगा-43.71 प्रतिशत,बेगूसराय-43.93 प्रतिशत, भागलपुर-42.88 प्रतिशत, सहरसा -44.70 और पूर्णिया में यह प्रतिशत 45.47 है.
0 से 19 साल
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2021-5.35 करोड़
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2031-4.89 करोड़
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2041-4.62 करोड़
20 से 59 साल
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2021-6.01 करोड़
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2031-7.79 करोड़
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2041-8.94 करोड़
60 साल और इससे ऊपर
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2021-94 लाख
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2031-1.27 करोड़
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2041-1.78 करोड़