बजट में 20 लाख से अधिक रोजगार देने की चर्चा की गयी है, यह सुखद है. एक साल में कम से कम चार लाख रोजगार के अवसर आयेंगे. शिक्षा पर सबसे अधिक 21.92 फीसदी राशि खर्च होगी, यह सरकार का बड़ा फैसला होगा.
वीएस दुबे
लेखक बिहार-झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव व बिहार के वित्त सचिव भी रहे हैं.अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ हैं.
वित्त वर्ष 21-22 के लिए बिहार सरकार ने दो लाख 18 हजार करोड़ से अधिक का बजट तैयार किया है, यह अच्छी बात है. बजट में सरकार ने अगले पांच सालों में 20 लाख से अधिक रोजगार देने की चर्चा की है, यह सुखद है.
एक साल में कम से कम चार लाख रोजगार के अवसर आयेंगे. इससे युवाओं को काम मिलेगा, अर्थव्यवस्था सुधरेगी और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा. पर, सरकार को यह भी देखना हाेगा कि जो भी रोजगार हो, वह रीयल रोजगार हो.
मनरेगा की इसमें गिनती नहीं की जाए. सरकार की घोषणा सिर्फ गिनती के लिए नहीं हो. इस बजट में शिक्षा पर सबसे अधिक 21.92 फीसदी राशि खर्च होगी, यह सरकार का बड़ा फैसला होगा.
मेरा सुझाव है कि सरकार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक राशि खर्च करनी चाहिए. प्राथमिक शिक्षा तो सबके लिए अनिवार्य है. सेकेंडरी शिक्षा को भी इसी दिशा में देखा जाता है. पर, उच्चतर शिक्षा जिसमें समाज की इंटेलिजेंसिया झलकती हैं, सरकार का फोकस एरिया होना चाहिए. विवि में रीसर्च का काम खत्म सा हो गया है. जो हो भी रहे हैं, वह नकल ही हैं.
बजट में इन चीजों पर भी फोकस करना चाहिए. विवि में योग्य शिक्षक हों और पढ़ाई व शोध का सिलिसला थमे नहीं, इसका ध्यान रहे. बजट में कृषि विभाग के लिए जो प्रावधान किये गये हैं, उस पर सरकार को और भी फोकस करने की जरूरत है.
हर खेत को पानी के साथ ही किसानों को बीज और खाद के साथ उनके उत्पादों को बाजार मिले, इसकी भी व्यवस्था हो. बजट में किसानों के उत्पाद खरीदे जाने का भी प्रावधान हो. सबसे खास यह कि बजट में वेतन व पेंशन जैसे मदों में पूर्व की तुलना में खर्च में कमी आयी है.
पूर्व के वर्षों में यह रकम 70 हजार करोड़ तक पहुंच जाती थी. लेकिन, इस बार यह करीब साठ हजार करोड़ रुपये के पास है, तो यह संतुलित कहा जा सकता है.
Posted by Ashish Jha