सरकार ने वित्तीय प्रबंधन के साथ–साथ बजट बनाने की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया है. बजट 2021–22 को वास्तविक व्यय 2019–20 के आधार पर बनाया गया है न कि बजट अनुमान पर
अमित बक्शी
लेखक आद्री में सहायक प्रोफेसर हैं
बिहार में चुनाव के बाद यह राज्य का पहला बजट कई मायनों में महत्वपूर्ण है. वैश्विक महामारी की मार से जूझने के बाद भी राज्य सरकार ने 2019–20 के वास्तविक खर्च की तुलना में 2021–22 के बजट में 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है.
राज्य सरकार ने वित्तीय प्रबंधन के साथ–साथ बजट बनाने की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया है. बजट 2021–22 को वास्तविक व्यय 2019–20 के आधार पर निर्माण किया गया है न कि बजट अनुमान या पुनरीक्षित अनुमान के आधार पर.
बजट में राजस्व का मुख्य स्रोत केंद्र से मिलने वाले संसाधन (67 प्रतिशत) है. वहीं राज्य का अपना राजस्व लगभग 19 प्रतिशत है. राज्य सरकार विभिन्न क्षेत्रों में व्यय के लिए 15 प्रतिशत ऋण पर निर्भर करेगी. यह ऋण एफआरबीएम लिमिट के अंदर है.
कुल राजस्व प्राप्तियों में 2019–20 की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव है. जब खर्च की प्राथमिकताओं पर ध्यान देंगे , तो दिखेगा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर 17 प्रतिशत, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर लगभग एक–तिहाई खर्च का प्रावधान किया गया है. साथ ही, स्वास्थ्य पर 13,265 करोड़ रुपये अनुमानित हैं, जिससे राज्य की स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होगी.
यह बजट बिहार के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होने वाला है. बिहार आधारभूत संरचना और सामाजिक क्षेत्रों में आगे बढ़ चुका है. अत: निजी निवेश को प्रोत्साहित किया गया है. वित्त मंत्री ने नया उद्यम शुरू करने के लिए इस बजट में 10 लाख रुपये ऋण का प्रावधान किया है, जिसमें 5 लाख रुपये का अनुदान शामिल है.
पांच लाख के ऋण पर महिलाओं के लिए कोई ब्याज नहीं है तथा अन्य के लिए मात्र एक प्रतिशत ब्याज रखा गया है. यह योजना राज्य में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के क्षेत्र में बेतहाशा वृद्धि करेगा और औद्योगीकरण संभव होगा.
इसके फलस्वरूप रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे. इसके साथ ही दूसरे राज्यों के निवेशक बिहार में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे. राज्य सरकार ने आर्थिक विकास को तेज करने के लिए जहां एक ओर पूंजीगत निवेश को 2019–20 के मुकाबले 2021–22 में डेढ़ गुना बढ़ाया है.
Posted by Ashish Jha